कोरोना और गांव वालों से लड़कर शुरू की खुद की अकादमी, अब मल्लखंभ वर्ल्ड चैंपियनशिप में अकादमी के बच्चे करेंगे शिरकत
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जैसे कि हमने पहले भाग में बताया कि मनोज प्रसाद कैसे एक एथलीट से एसटीएफ के अफसर बने और फिर अफसर बनने के बाद उन्होंने मलखंभ सीखकर बच्चों को मलखंभ सीखाना शुरू किया। अब हम इस लेख में उनकी आगे की कहानी के बारे में जानेंगे कि किस तरह उन्होेंने अपनी अकादमी की स्थापना की और इसे राष्ट्रीय स्तर की अकादमी बनाया।
कोरोना ने लगाई रोक
मनोज प्रसाद की बच्चों को मलखंभ की ट्रेनिंग बहुत ही अच्छी चल रही थी। वें बच्चों को बड़े ही अच्छे ढंग से मलखंभ सीखा रहे थे और उन्हें आगे ले जा रहे थे। लेकिन अचानक से कोरोना महामारी आ गई। जिसके बाद देशभर में लाॅकडाउन लग गया और देश भर में खेल गतिविधियों पर रोक लग गई। इसका असर नारायणपुर में मनोज प्रसाद की मलखंभ अकादमी पर भी पड़ा और सभी बच्चे मलखंभ की अकादमी को छोड़कर अपने घर की ओर रवाना हो गए। हालांकि कुछ बच्चे दूर घर होने के कारण अपने घर नहीं लौट सके।
ट्रेनिंग का गांव वालों ने किया विरोध
जब कोरोना का कहर देश में कम हुआ और धीरे धीरे खेल की गतिविधियां देश में शुरू हुई। तो मनोज ने अपनी मलखंभ अकादमी को फिर शुरू किया। लेकिन लाॅकडाउन के बाद उन्हें बच्चों को फिर से एकजुट करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। जब उन्होंने फिर से अकादमी शुरू की तो अबूझमाड़ गांव के सभी लोगों ने उनका विरोध करना शुरू किया और कई बार उनकी शिकायत प्रशासन से भी की कि ये गांव में बच्चों के मिलकर के साथ कोरोना फैल रहा है। हालांकि इसके बाबजूद भी मनोज ने हार नहीं मानी और बच्चों को ट्रेनिग देना जारी रखा। इस दौरान उन्होंने अपना सारा पैसा बच्चों पर ही खर्च कर दिया।
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खुद ने बनाया इंडोर स्टेडियम
उनकी ट्रेनिंग का असर उनके अभ्यर्थियों पर भी देखने को मिला। जहां एक बार फिर अकादमी के बच्चों ने देशभर में एक बार फिर मलखंभ में अपना जलवा दिखाना शुरु किया। इसके बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को उनकी अकादमी के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने भी आकादमी का दौरा किया उनकी अकादमी को होस्टल और ग्राउंड देने का वादा किया। लेकिन मुख्यमंत्री के जाने के बाद उन्हें किसी भी तरह की मदद नहीं मिली। जिसके बाद मनोज ने खुद ने अपने बच्चों के साथ मिलकर एक इंडोर स्टेडियम बनाना शुरू किया। जिसे उन्होंने 2-3 महीने में अपनी कडी मेहनत से इंडोर स्टेडियम तैयार कर लिया ताकि अकादमी के बच्चे इंडोर स्टेडियम में अभ्यास कर सके।
राष्ट्रीय प्रतियोगिता में दिखाया जलवा
इसके बाद उनकी अकादमी अब एक राष्ट्रीय स्तर की अकादमी बन चुकी थी। मनोज की अकादमी के बच्चों ने साल 2021 सिंतबर में उज्जैन में आयोजित राष्ट्रीय मल्लखंब प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ ने 58 पदक जीतकर ऐतिहासिक जीत हासिल की। जिसमें 43 पदक नारायणपुर – अबूझमाड़ खिलाड़ियों के रहे। इसके अलावा अब इस साल यानि साल 2022 में मनोज की अकादमी के खिलाड़ी भूटान में होने वाली मल्लखंब वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे साथ ही नेपाल में आयोजित होने वाली साउथ एशिया मल्लखंब चैंपियनशिप में भी कई खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। इसके अलावा अगले महीने आयोजित होने वाले खेलों इंडिया गेम्स में अकादमी के बच्चे अपना जलवा बिखरेगे।
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अकादमी को हुए 6 वर्ष पूर्ण
मनोज की अकादमी को अब तक 6 वर्ष पूरे हो चुके हैं। वें पिछले छह सालों से बच्चों को मलखंभ की ट्रेनिंग दे रहे हैं। उनका सपना है कि मलखंभ ओलंपिक में शामिल हो और मलखंभ में भारत स्वर्ण पदक जीते। मनोज ने अपनी अकादमी के कारण पिछले 9 सालों से अपने माता-पिता से मुलाकात नहीं की। उनका मानना है कि जब तक वें अपनी अकादमी को और आगे नहीं ले जाते तब तक वें अपने माता-पिता से नहीं मिलेगे।
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