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इंदौर में इस व्यक्ति ने कमरे में बनाया सिनेमाघर संग्रालय, संग्रालय को देखने दूर – दूर से आते है लोग

देशभर में बड़ी ही तेज़ी से मल्टीप्लेक्स स्क्रीन सिनेमाघर का ट्रेंड बढ़ रहा है, मल्टीप्लेक्स स्क्रीन सिनेमाघर के बढ़ते ट्रेंड के कारण देश भर में सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर का ट्रेंड बड़ी ही तेज़ी ही घटते जा रहे है। यही सिंगल स्क्रीन के अस्तित्व को खतरे में देखते हुए इंदौर के विनोद जोशी नाम के एक शख्स ने एक किराये के कमरे में सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर का संग्रालय बनाया है, जहां इस शख्स ने अपने कमरे में इंदौर के पुराने से पुराने सिनेमाघरों को संजोया है। उनका यह सिनेमाघर संग्रालय इंदौर के कृष्णा विहार कॉलोनी में स्थित है।

बचपन से था सिनेमा का शौक
विनोद जोशी एक व्यापारी है, जो पुस्तकों का व्यापार करते है। विनोद को बचपन से ही सिनेमा देखने का शौक था, सिनेमाघरों में फिल्में देखने जाया करते थे। 1983 से ही उन्हें सिनेमा से जुडी चीज़ो को एकत्रित करने की दिलचस्पी थी। जिनमें वें फिल्म की टिकट से लेकर तो फिल्म का पोस्टर और विज्ञापन की सील तक को संभल कर रखते थे। लेकिन आगे बढ़ते समय के दौरान उन्होंने देखा कि देशभर में सिंगल स्क्रीन सिनेमा का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है। जिसको देखते हुए साल 2015 में उन्होंने खुद का सिनेमाघर संग्रहालय खोलने का सोचा और इस पर काम करना शुरू किया।

सिनेमाघर संग्रालय के संस्थापक विनोद जोशी

पुरानी परम्परा को जारी रखने के लिए खोला संग्रहालय
उन्होंने संग्रहालय को लेकर काफी मेहनत की और लॉक डाउन के बाद उन्होंने अपना सिनेमाघर संग्रहालय शुरू किया। सिनेमाघर संग्रहालय के संस्थपाक विनोद जोशी ने बताया, ”शहर और देशभर में धीरे – धीरे सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर की परम्परा समाप्त होती जा रही है, जो कि शहर, देश और सिनेमा जगत के लिए एक चिंता का विषय है। पहले के दौर में अधिकतर फिल्में सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर में ही रिलीज होती थी, लेकिन आज के दौर में अधिकतर फिल्में मल्टीप्लेक्स सिनेमाघर में रिलीज हो रही है, जिनके कारण दर्शको का रुख भी मल्टीप्लेक्स सिनेमाघर की ओर बढ़ता जा रहा है,जिसके कारण सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर की परंपरा खत्म होती जा रही है। इस परम्परा को जीवित रखा जा सके साथ ही शहर के ज्यादतर दर्शक इंदौर के सिंगल स्क्रीन सिनेमा के इतिहास के बारे में जान सके। इसलिए सिनेमा घर संग्रहालय की स्थापना की है।”

संग्रहालय में प्रोजेक्टर भी मौजूद
विनोद ने अपने इस संग्रहालय में सिनेमा से जुडी छोटी से छोटी चीज़ो को संजोया कर रखी है। संग्रहालय में पुराने दौर का प्रोजेक्टर भी मौजूद है, जिस पर पहले दर्शकों को फिल्में दिखाई जाती थी। वें इस प्रोजेक्टर को खास तौर पर संग्रहालय के लिए मुंबई से इंदौर लेकर आये थे, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग प्रोजेक्टर को देख सके और उसको समझ सके। इसके अलावा उनके संग्रहालय में पुराने दौर की फिल्मो के पोस्टर भी लगे हुए साथ ही उन फिल्मों की 9 मिमी से 70 मिमी पुरानी रील्स भी रखी हुई है ताकि वें दर्शकों को बड़े परदे पर फिल्में दिखा सके। संग्रहालय में पुराने सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों के मॉडल भी बने हुए रखे है। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग सिंगल स्क्रीन सिनेमा को देख सके और उनके इतिहास के बारे में जान सके।

1 रूपये 60 पैसे रखा टिकट
इस संग्रहालय में जिस तरह पुरानी चीज़ो को रखा गया ठीक उसी प्रकार पुराने ज़माने की तर्ज पर इस संग्रहालय का टिकट भी रखा गया। जो भी व्यक्ति इस संग्रहालय को देखने आता है उसे 1 रूपये 60 पैसे का टिकट लेना पड़ता है। उसके बाद व्यक्ति इस संग्रहालय को देख पाता है। इस संग्रहालय को देखने जो भी आता है ,वो इसे देखकर चौंक जाते है। संग्रहालय को अच्छी तरह से देखने में लगभग आधे घण्टे से भी ज्यादा का समय लगता है। बता दें, सिंगल स्क्रीन का दूसरा टिकट 3 रुपए 20 पैसे का, फिर बालकनी 5 रुपए और बॉक्स 7 रुपए में मिलती थी।

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