जानिए कैसे किसान ने फूलों से बदल दी गाँव की तस्वीर , कमाते है सालाना 40 करोड़

Amit Rajput

October 21, 2022

Himachal Pradesh Chayal- प्रकृति की गोद में बसा देवदार के हरे-भरे पेड़ों के बीच रचा बसा हुआ हिमाचल प्रदेश का फेमस Tourist place । चायल के छोटे से गांव महोग के रहने वाले Atam Swaroop जी ने आज से 30 साल पहले एक प्रयोग के तौर पर अपने गांव में फूलों की खेती शुरू की थी , अब उनकी पहल से हिमाचल के हजारों किसान अपनी रोजी रोटी कमा पा रहे है।

आत्म स्वरूप जी ने इसकी शुरुवात 1988 में की थी और आज सिर्फ उनके ही गांव से साल के 40 करोड़ रुपये के फूल निकलते हैं। आत्म स्वरूप जी की ओर से की गई शुरुआत अब हिमाचल के कई क्षेत्रों तक पहुंच चुकी है जिसके फल स्वरुप हिमाचल में हर साल लगभग 200 करोड़ रूपये के फूलों का कारोबार होता है।

जानिए कैसे हुई थी इस अनोखी जिद की शुरुआत।

आत्म स्वरूप जी बताते है “हमारे गांव में पहले सब्जियों और अनाजों की खेती हुआ करती थी। हमारे ही गांव के एक व्यक्ति पंजाब के सूबे पटियाला के महाराजा के महल में माली का काम करता था , उसने मुझे फूलों की खेती करने के बारे में बताया।”

आत्म स्वरूप जी के अनुसार “मैंने उस माली से ही ग्लैडियस (gladiolus flower) फूल की कलमें लेकर आपने खेत में लगाया था और इसकी बहुत अच्छी पैदावार हुई। फिर मैंने कभी पीछे मूड कर नहीं देखा और अपने सारे खेतों में सिर्फ और सिर्फ फूलों की खेती करने की ठानी , इसके लिए अपने परिवार को भी सब्जियों के बजाय, फूलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया ।

आत्म स्वरूप जी आगे कहते है फूल ऊगा तो लिए लेकिन इन्हें बेचने के लिए हमें बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शुरुवात मैं पहले बस की छत पर फूलों को चायल से 20 किलोमीटर दूर कंडाघाट भेजा जाता था ।उसके बाद वहां से रेल के द्वारा वहां से 50 किलोमीटर दूर कालका पहुंचाते और फिर दूसरी रेल में रखकर अंबाला और फिर दिल्ली (Delhi) में मंडी तक फूलों भेजा जाता था।

इस दौरान कितनी बार फूल खराब हो जाते थे। लेकिन उसके बाद आत्म स्वरूप जी ने धीरे-धीरे उन्होंने अपने साथ गांव के अन्य किसानों को भी के बिज़नेस से जोड़ लिया ,अब जब गांव के अन्य लोग भी फूलों की खेती करने लगे और फूलों का उत्पादन अधिक से अधिक होने लगा, तो हम अपने गांव से ही गाड़ियों के द्वारा सीधे दिल्ली की मंडी में फूल भिजवाने लगे। आज आलम यह है की इस गांव से हर तीसरे दिन फूलों से भरी एक बड़ी गाड़ियां दिल्ली मंडी के लिए जाती है।

आत्म स्वरूप जी 100 से भी ज्यादा सम्मान एवं पुरुष्कार ( Awards ) पा चुके हैं

जब होलेंड के वैज्ञानिको से मिलकर पॉलीहाउस तैयार कर फूलों की खेती शुरू की तो इससे फूलों की गुणवत्ता काफी ज्यादा मात्रा मैं सुधर गयी और फूलों की बीमारियां भी कम हो गईं। आत्म स्वरूप को फूलों की खेती के लिए 100 से ज्यादा पुरुष्कार मिल चुके हैं। उन्हें vibrant gujarat summit में जाने का भी मौका मिला और वह 3 वर्षों तक ICR के नेशनल एडवाइज़री कमेटी के Member भी रह चुके हैं।

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20 से भी ज्यादा प्रकार के फूलों की खेती करते है स्वरूप जी

आज आत्म स्वरूप जी के गांव में कारनेशन, लिलीयम, ब्रेसिका केल, जिप्सोफिला, गुलदावरी समेत 20 तरह के फूलों की खेती होती है और ये फूल महंगे होटलों, धार्मिक अनुष्ठानों और साज-सज्जा के काम में आते हैं। महोग गांव के ही फूलों की खेती करने वाले ओम प्रकाश कहते हैं कि हमारे गांव से फूलों की खेती की शुरुआत हुई है, यह हमारे लिए गर्व की बात है ।

ओम प्रकाश बताते हैं, “हमारे गांव के फूल International Quality के मानक के होते हैं, अब हमारे गांव के युवा भी बाहर नौकरी करने पर जाने की बजाय अपने परम्परागत फूलों की खेतीके बिज़नेस को अपना रहे है और अन्य किसानों को भी इसकी खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं।”

फूलों की ही खेती से जुड़े एक किसान रवि शर्मा ने बताया कि आत्म स्वरूप हमारे लिए ही नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल के फूल उत्पादकों के प्रेरणास्त्रोत हैं। आज उन्ही की सीख और किसानी की अनोखी तकनीक को अपना कर हजारो युवा सेल्फ डिपेंड बन कर हिमाचल की फूलों की खेती को आगे बढ़ा रहे है