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KAMAL HASAN और RAO इंद्रजीत सिंह को चुनाव में पटख़ने वाली दमदार महिलाएं, अब BJP मैं हैं चुनाव समिति की सदस्‍य

देश की सबसे बड़ी पार्टी BJP ने अपने संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में इस बार दो बहुत ही शक्तिशाली महिलाओं को स्‍थान दिया है

SUDHA YADAV – देश की सबसे बड़ी पार्टी BJP ने अपने संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में इस बार दो बहुत ही शक्तिशाली महिलाओं को स्‍थान दिया है. एक हैं सुधा यादव और दूसरी वनाथी श्रीनिवासन जो अब आगामी 2024 लोकसभा चुनावों में BJP के लिए चुनावी रणनीति तैयार करेंगी. अब तक सिर्फ दिवंगत सुषमा स्‍वराज ही एकमात्र महिला थी जिनको चुनाव समिति मैं जगह मिली थी. उनके बाद यह दूसरी बार है कि एक साथ दो महिला इस समिति मैं शामिल की गयी हैं. 2024 के आगामी लोकसभा चुनावों को मद्देनज़र रखते हुए बीजेपी ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं और अपने Parliamentary Board और चुनाव समिति में बड़ा फेरबदल किया है.

सुधा यादव

2004 में वह BJP से हरियाणा के महेंद्रगढ़ से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं। सुधा यादव के पति सुखबीर यादव BSF मैं डिप्टी कमांडेंट के पद पर तैनात थे , कारगिल जंग (Kargil War) मैं पाकिस्तानी घुसपैठियों को भारत की सीमा मैं घुसने से रोकने की कोशिश मैं सुखबीर शहीद हो गए , हालाँकि सुधा पढ़ी लिखी महिला थी , जो आई आई टी रुड़की से पढ़ी हुई थी , तब की हरयाणा सरकार ने युद्ध मैं शहीद हुऐ लोगो की विधवा हुई महिलाओं को कोटे के अंतर्गत कॉलेज मैं लेक्चरर की नोकरी दे दी , तभी 2004 के लोकसभा चुनावो मैं BJP ने सुधा यादव को महेंद्रगढ़ से भाजपा के टिकट पर राव इंद्रजीत के सामने चुनाव लड़वाने का निर्णय लिया राव इंद्रजीत राज परिवार से ताल्लुक रखते थे

हालाँकि सुधा ने चुनाव लड़ने के लिए साफ़ इंकार कर दिया था , वह पहले ही अपनी जिंदगी की परेशानियों से लड़ – लड़ कर परेशान थी , पति के जाने के बाद पूरा परिवार बिखर सा गया था। सुधा पर दो मासूम बच्चो की परवरिश की जिम्मेदारी थी , साथ ही राजनीति का कोई अनुभव भी नहीं था, न ही कोई राजनैतिक पृष्ठभूमि, लेकिन बाद मैं कुछ ऐसा हुआ जिससे सुधा यादव ने भाजपा के निशान से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव स्वीकार कर ही लिया ,

प्रधानमंत्री Narendra Modi 2004 के चुनाव में हरियाणा के चुनाव प्रभारी थे सुधा यादव को राजनीती में लाने का पूरा श्रेय उन्ही को जाता है , सुधा ने भजपा के टिकट पर महेंद्रगढ़ से ताल ठोंक तो दी लेकिन अब आया पैसो का संकट , वहीं भाजपा भी तब इतनी प्रभावशाली और समृद्ध पार्टी नहीं थी, जबकि सुधा के सामने वाला प्रत्याशी राज घराने से था जिसको पैसो की कोई कमी नहीं थी। तब मोदी आगे आये उन्होंने भाजपा के कार्यकर्ताओ के साथ मिलकर चंदा माँगना शुरू किया , मोदी की स्ट्रेट्जी ने काम करना शुरू किया देखते ही देखते साढ़े सात लाख रूपये इकठ्ठा हो गए , शायद जनता भी बदलाव चाहती थी सुधा की चुनावी सभाओ में खूब भीड़ जुटने लगी शायद एक शहीद फौजी की बीवी से आम जनता को बदलाव की उम्मीद जागने लगी थी, सुधा में उनका अपना भावी नेता दिखने लगा था , जिसके परिणाम स्वरूप सुधा यादव बहुत ही भारी बहुमत से चुनाव जीत गयी तब के सत्तासीन राव इंद्रजीत को सुधा यादव ने 1,50 हजार से भी ज्यादा वोटो से हरा कर इतिहास बना दिया था ,

वनाथी श्रीनिवासन भाजपा की महिला अध्यक्ष

वनाथी श्रीनिवासन दक्षिण के तमिलनाडु राज्य से आती है , पेशे से वकील एवं राजनेता है , 52 वर्ष की वनाथी श्रीनिवासन चन्नेई हाई कोर्ट में 1993 से प्रैक्टिस कर रही है। तमिलनाडु विधानसभा में सदस्य वनाथी अभी भाजपा की महिला अध्यक्ष है।

तमिलनाडु में विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या मात्र 04 है , वनाथी उन्ही में से एक है वनाथी ने अपनी राजनैतिक जीवन की शुरुवात छात्र राजनीती से शुरू करी और वह भारतीय विद्यार्थी परिषद् की सदस्य भी रही , वनाथी ने मद्रास विस्वविद्यालय से कानून में मास्टर्स किया है, वनाथी के पति का परिवार संघ के साथ काफी पहले सही जुड़ा हुआ था, वनाथी ने पिछले विधानसभा चुनावो में दक्षिण भारत के मेगा स्टार कमल हासन को पटखनी दी थी, वनाथी सिर्फ राजनीती ही नहीं सामाजिक मुद्दों और पर भी काफी मुखर रहती है , खासतौर से ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए उन्होंने अच्छी खासी लड़ाई लड़ी है वनाथी अपने NGO थमराई शक्ति ट्रस्ट के द्वारा महिलाओ के विकास एवं बराबरी की आवाज उठती है।

वनाथी ने कई बार पार्टी के खिलाफ जाकर भी कुछ मुद्दों पर स्टैंड लिया है, 2014 में जब वनाथी ने ट्रांसजेंडर समुदाय के मुद्दे पर एक किताब लिख डाली , भाजपा का रुख तब तक इस मुद्दे पर क्लियर नहीं था , अगर देखा जाये तो परपम्परिक एवं सांस्कृतिक सोच की वकालत करने वाली भाजपा ट्रांसजेंडरस के विरोध में ही थी लेकिन वनाथी ने अपना स्टैंड क्लियर कर दिया था , वनाथी के हिसाब से उनको भी समाज में सम्मान और बराबरी से रहने जीने का अधिकार मिलना चाहिए , वनाथी कहती हैं की हमें कोई अधिकार नहीं है की हम उनको जज करे , वनाथी ट्रांसजेंडर महिलाओ के सेक्स डिटरमिनेशन टेस्ट करवाने के खिलाफ भी कैंपेन करती रहती थी ,

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