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कैंसर की थर्ड स्टेज और 3 बार कोरोना को मात देने वाले आशीष पेटिंग बनाकर जी रहे आनोखी जिंदगी, 73 साल की उम्र में शुरू की खुद की आर्ट गैलरी

“जन्म कब लेना है और मरना कब है, हम डिसाइड नहीं कर सकते। पर कैसे जीना है यह हम डिसाइड कर सकते हैं।” अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने इस डायलॉग को अपनी अंतिम फिल्म दिल बेचारा में जिस तरह से सही और सटीक ढंग से साबित किया है। ठीक उसी प्रकार इस डायलॉग को रियल लाईफ में सही और सटीक ढंग से साबित किया है, भोपाल के रहने वाले आर्टिस्ट आशीष भट्टाचार्य ने। आशीष की उम्र 73 वर्ष है। वें इस समय कैंसर के तीसरे पढ़ाव पर है और अब तक 3 बार वें कोरोना को मात दे चुके हैं। लेकिन इन तमाम चुनौतियों के बीच आशीष ने जिंदगी जीना नहीं छोड़ा है और रोजाना पेटिंग कर अपनी नयी जिंदगी जी रहे हैं।

पेशे से है आर्किटेक्ट और इंटीरियर डिजाइनर

आशीष भट्टाचार्य पेशे से एक आर्किटेक्ट और इंटीरियर डिजाइनर है। आशीष जबलपुर में जन्मे है जबकि उनकी स्नातक डिग्री दिल्ली से पूरी हुई है। आशीष को बचपन से ही पेटिंग और ड्रॉइंग का शौक था। लेकिन उन्होंने आर्किटेक्ट पर काम करना जारी रखा और उसे ही अपना पेशा बना लिया। आगे चलकर आशीष ने खुद का ही एक आर्किटेक्ट और इंटीरियर डिजाइनर का बिजनेस शुरू किया।

पेटिंग करते हुए आशीष भट्टाचार्य

हाॅस्पिटल में भी जारी रखी आर्ट

आशीष को साल 2018 में कैंसर हो गया। कैंसर की थर्ड स्टेज के दौरान करीब ढाई महीने तक उनकी रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी हुई लेकिन प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट होकर उन्होंने अपने आर्ट को जारी रखा। आशीष मानते हैं कि कैंसर की थर्ड स्टेज का पता चलने के बाद उन्हें ऐसा लगा कि अब जीवन खत्म है। लेकिन कुछ समय के बाद उसी कैंसर ने आर्टिस्ट को तोहफे में लाइफ का गिफ्ट दिया। आशीष ने बताया कि अब वो जिंदगी में 1 दिन में जीते हैं 3 दिन की जिंदगी। कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान आशीष को कुछ समय डिप्रेशन से भी गुजरना पड़ा लेकिन उनके लाइफ मंत्र ‘डू व्हाट यू लव एंड लव व्हाट यू डू’ ने उन्हें कैंसर की थर्ड स्टेज से भी बाहर निकल दिया। आशीष ने कैंसर के दौरान बेड पर लेटे – लेटे कई घंटो तक काम करके सांची रिट्रीट डिजाइन किया।

सबसे ज्यादा पसंदीदा पेंटिग है, रियलिस्टिक पेटिंग

आशीष को वैसे तो कई प्रकार की पेटिंग बनाना पसंद है। लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा रियलिस्टिक पेटिंग बनाना सबसे ज्यादा पसंद है। वे अपनी पेटिंग के माध्यम से हमेशा लोगों को कुछ न कुछ खास संदेश देना चाहते हैं। उन्होंने अपनी पेटिंग पर अफगानिस्तान में तालिबानी हमले से लेकर भोपाल की जामा मस्जिद को भी कैनवास पर उकेरा है। उन्होंने कोरोना के समय होने वाले दुनिया के दर्द और परेशानी को रंगों के जरिये बयां किया। साथ ही मजदूर, गरीब, अनाथ और महिलाओं की मजबूरियों को भी दिखाया।

आशीष की बनाई हुई पेटिंग

शुरू की खुद की आर्ट गैलरी

अपने ब्रश और कैनवास को सबसे जिगरी साथी मानने वाले आशीष को 3 बार कोरोना हुआ लेकिन उनका आर्ट गैलरी खोलने का जज्बा नहीं टूटा। इसके कुछ समय बाद में उन्होंने भोपाल शहर के 12 नंबर स्टॉप पर आर्ट लवर्स के लिए आर्ट गैलरी की शुरुआत की है। जिसमें उन्होंने अपनी बेस्ट पेटिंग को आर्ट गैलरी में सजाया ताकि लोगों आकर वहां उनकी पेटिंग देख सके और उनके बारे में गहराई से जान सके। आशीष ने आर्ट गैलरी में एक स्पॉट हैंगऑउट के लिए भी रखा है – ‘सिट एंड थिंक’। ये स्पॉट युवाओं के लिए है जहां वो आएं और अपनी क्रिएटिविटी को बढ़ा सकें।

तीन बार लगी अंतरराष्ट्रीय आर्ट गैलरी में पेटिंग

आशीष की पेटिंग की मांग भारत सहित विदेशी देशों में रही है। उनकी पेटिंग तीन बार अंतरराष्ट्रीय आर्ट गैलरी में लग चुकी है। इसके अलावा अमेरिका सहित कई अन्य देशों के लोग भी उनकी बनाई हुई पेटिंग उनसे खरीद चुके हैं। इन सबके अलावा आशीष की पेंटिंग और आर्ट को देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी सराहा चुकी है। यही कारण है कि आशीष आज 73 वर्ष के होने के बाद भी अपनी शौक पेटिंग और ड्रॉइंग को जारी रख पाए रहे हैं।

युवाओं के लिए खास संदेश

आशीष युवाओं को संदेश देते हुए कहते हैं कि युवाओं को कभी भी किसी भी प्रकार से समय का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। उन्हें हर समय कुछ न कुछ उपयोगी करते रहने चाहिए। जो उन्हें जीवन में काम आ सके।

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Arpit Kumar Jain

Arpit Kumar Jain is a Journalist Having Experience of more than 5+ Years | Covering Positive News & Stories | Positive Action & Positive Words Changes the Feelings
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