हज़ारो कुत्तो की देखभाल कर रहा यह शख्स , अब तक 1 करोड़ रुपये खर्च कर चुके है कुत्तों पर
आज के दौर में जानवरों और आवारा पशु को पालने बहुत ही कम लोग है, जो उनकी अच्छे से देख रेख करते हैं और उन्हें खिलाते-पिलाते है। उन्हीं में से एक बेंगलुरू के रहने वाले हरिस अली। जो बेंगलुरु में आवारा पशुओं और जानवरों के लिए एक ट्रस्ट चलाते हैं। इस ट्रस्ट का नाम ‘सर्वोहम ट्रस्ट’ है। यह ट्रस्ट खास तौर कुत्तों की मदद के लिए बनाया गया है। अब तक इस ट्रस्ट में 1 हजार से अधिक कुत्ते शरण ले चुके हैं। हरिस इन पर अपने बिजनेस से बचाकर पिछले दो सालों में लगभग 1 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं।
बीमार कुत्ते को लाए घर
हरिस को बचपन से ही कुत्तों से काफी लगाव था। वें 31 दिसंबर 2016 को बेंगलुरू की सड़क से गुजर रहे थे। उसी दौरान उन्होंने एक असहाय बीमार कुत्ते को देखा। जिसके मुंह से झाग निकल रहा था। कुत्ते को देखने के बाद वें उसके पास गए, उसको होश में लाने की कोशिश की लेकिन वें असफल रहे। उन्होंने कही सरकारी गैरसरकारी संगठनों को काॅल भी किया। लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। इसके बाद वें उस कुत्ते को अपने ही घर ले आए। जहां उन्होंने खुद ने उसका इलाज किया और उसे ठीक किया। लेकिन कुछ समय बाद उसे ‘कैनाइन डिस्टेंपर वायरस’ हो गया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। लेकिन उस कुत्ते की मौत के बाद हरीस के मन में कुत्तों के प्रति संवेदना जाग गई और कुत्तों के लिए एक शैल्टर होम बनाने की राह दिखा दी।
कैसे हुई ट्रस्ट की शुरुआत
हरिस के मन के अंदर उस घटना के बाद कुत्तों के प्रति संवेदना जाग गई। इसके बाद वें की संगठनों से जुड़े जहां उन्होंने की असहाय और बीमार कुत्तों की मदद की। साथ ही दोस्तों और जान पहचानों को वाला को भी बताया कि सभी लोग बेजुबान जानवर और कुत्तों की मदद करें। कई बार वें एक दिन मे लगभग 2 या उससे अधिक कुत्तों की मदद करने लगे थे। उन्होंने मदद के लिए गैर सरकारी संगठनों और अन्य एनिमल शेल्टर से संपर्क किया, लेकिन वहां पहले से ही बहुत भीड़ थी। कई लोगों ने तो कुत्तों को अस्थायी आश्रय देने से भी मना कर दिया। हरिस ने इस समस्या के हल के लिए मार्च 2017 में ‘सर्वोहम ट्रस्ट’ की शुरुआत की। ताकि वें असहाय कुत्तों का सहारा बन सके।
किस तरह होती है कुत्तों की देखभाल
बेंगलुरू के जेपी नगर में 12,500 वर्ग फीट में ‘सर्वोहम ट्रस्ट’ फैला हुआ है। जहाँ कुत्तों के इलाज के लिए एक एक्स-रे मशीन और अन्य मशीने हैं, इसके अलावा कुत्तो को लाने ले जाने के लिए एक एंबुलेंस भी है और उनके पास 12 लोगों की एक टीम भी है, जिसमें वेटनरी डॉक्टर, देखभाल करने वाले, बचाव दल, पैरा वेट और सुपरवाइजर शामिल हैं,जो कुत्तों को मैनेज करना, खाना खिलाते और उनकी देखभाल भी करते हैं।
कोरोना ने डाली बाधा
कोरोना महामारी के दौर के दौरान हरिस का काम बंद हो गया था। जिसके कारण वें ढंग से कुत्तों की देखभाल नहीं कर पा रहे थे लेकिन जब उनका काम फिर से शुरू हुआ तो एक बार फिर उन्होंने अपने ट्रस्ट को शुरू किया। वें अब अपने ट्रस्ट के लिए 4 एकड जमीन देख रहे हैं। जहां वें 600 कुत्तों को एक साथ पाल सके। इसके अलावा वें चाहते हैं कि पूरे देश में इस तरह के शेल्टर होम और ट्रस्ट बने ताकि किसी भी बेजुबान जानवर को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।
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