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सम्मेद शिखर जी को पवित्र स्थल बने रहना चाहिए, जानें इस पवित्र स्थल के इतिहास के बारे में

इन दिनों जैन धर्म का तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। जैन धर्म का यह तीर्थ स्थल झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित है। इस स्थल से जैन धर्म के लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। इस तीर्थ स्थल को कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार और झारखंड सरकार के द्वारा पर्यटक स्थल घोषित कर दिया गया है। जिसका विरोध जैन समाज के द्वारा मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में किया जा रहा है।

24 में से 20 तीर्थकारों को यहीं से मिला मोक्ष

सम्मेद शिखर जैन गिरिडीह जिले के पारसनाथ पर्वत पर स्थित है। जिसे झारखंड का हिमालय भी कहा जाता है। इस पर्वत पर जैनियों का पवित्र तीर्थ सम्मेद शिखरजी स्थित है। जहां से जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थकारों को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसके अलावा यहीं से 23वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। यही कारण है कि इस पवित्र स्थल से जैन समाज के लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है।

झारखंड का सबसे ऊंचा पर्वत है

यह पर्वत झारखंड का सबसे ऊंचा पर्वत भी है। इस पर्वत की बनावट जम्मू कश्मीर के कटरा में वैष्णव देवी मंदिर जैसे पर्वत की। जहां से शिखरजी से छूकर निकलने वाली हवा विश्व के कोने-कोने में शांति और अहिंसा का संदेश पहुँचा रही है। इस पवित्र पर्वत पर दर्शन के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

जैन ग्रंथो में भी पर्वत का जिक्र है

इस पवित्र स्थल का जिक्र का जैन ग्रंथो में भी किया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार सम्मेद शिखर और अयोध्या, इन दोनों का अस्तित्व सृष्टि के समानांतर है। इसलिए इनको ‘शाश्वत’ माना जाता है। प्राचीन ग्रंथों में यहाँ पर तीर्थंकरों और तपस्वी संतों ने कठोर तपस्या और ध्यान द्वारा मोक्ष प्राप्त किया। यही कारण है कि जब सम्मेद शिखर तीर्थयात्रा शुरू होती है तो हर तीर्थयात्री का मन तीर्थंकरों का स्मरण कर अपार श्रद्धा, आस्था, उत्साह और खुशी से भरा होता है।

मोक्ष की प्राप्ति का स्थान

वही जैन धर्म इस पवित्र स्थल को मोक्ष पाने का भी स्थान बताया गया है। पर्वत को लेकर जैन धर्म शास्त्रों में लिखा है कि अपने जीवन में सम्मेद शिखर तीर्थ की एक बार भावपूर्ण यात्रा करने पर मृत्यु के बाद व्यक्ति को पशु योनि और नरक प्राप्त नहीं होता। यह भी लिखा गया है कि जो व्यक्ति सम्मेद शिखर आकर पूरे मन, भाव और निष्ठा से भक्ति करता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है।

पूरे देश में हो रहा विरोध

इन्हीं कारणों मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में जैन समाज के लोग इस पवित्र स्थल को पर्यटक स्थल बनाने पर विरोध कर रहे हैं। उन्हें डर है कि पर्यटन स्थल बनने के बाद यहां पर असमाजिक गतिविधियां बढ़ सकती है। जिसके कारण इस स्थल की पवित्रता को संकट पहुंच सकता है।

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