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अब इंदौर में हो रही जापानीज रेड डायमण्ड अमरूद की खेती, देशी अमरूद की तुलना में है कई गुना बड़े अमरूद

सर्दियों का मौसम गुलाबी ठंड और बहार का मौसम होता है। इस मौसम में बाहर घूमने और सीजन की खास चीजों को खाने में बड़ा मजा आता है। इस सीजन में सबसे ज्यादा ख़ासतौर पर आमरूद का फल खाया जाता है। जो देशभर में विभिन्न किस्मों का पाया जाता है। जिनमें सबसे प्रसिद्ध जापानीज रेड डायमण्ड किस्म होती है। जो काफी अनोखी और टेस्टी होती है। इस किस्म के अमरूद बड़े ही मुश्किल से बड़ी ही कम मात्रा में मिलते हैं। लेकिन अब इस किस्म के आमरूद की खेती इंदौर में भी होने लगी है। इस अमरूद की खासबात यह है कि यह अमरूद भारत के अन्य अमरूदों की तुलना में ज्यादा बड़े और टेस्टी होते हैं। जिसके कारण इसकी मांग ज्यादा होती है।

खाचरौद में हो रही खेती

इस अमरूद की खेती को लेकर इंदौर के एग्रीकल्चर कॉलेज के प्रो. मधुसूदन धाकड़ ने बताया कि दो साल पहले यह जापानीज रेड डायमण्ड अमरूद मप्र में आया था लेकिन अब मप्र में सबसे पहले इसी खेती खाचरौद में ही हो रही है तथा मंडियों में इसकी डिमांड बनी हुई है। इसकी खेती ग्राफ्टिंग प्रोसेस के तहत होती है। बीते दो सालों में मप्र के खाचरौद में सबसे पहले इसकी खेती की शुरुआत हुई। इसके बाद कुछेक अन्य स्थानों पर इसकी खेती शुरू हुई है। वही प्रो. धाकड़ के मुताबिक खाचरौद में करीब दो साल पहले उन्होंने इसकी खेती शुरू की। विशेष किस्म के ये अमरूद दो साल में उत्पादन देते हैं। इसमें केवल दो-तीन बीज ही होते हैं।

2 साल बाद लगते हैं अमरूद

वही अगर इस अमरूद की खेती के बारें में बात करें तो इन अमरूदों की खेती के लिए इनके पौधों की साइज डेढ़ से दो फीट तक रहती है। जिसके लिए ग्राफ्टिंग प्रोसेस में यूज की जाती है। इन पौधों को 6-7 फीट होने में 2 साल का समय लगता है। जिसके उस पौधे पर यह अमरूद लगते हैं। वही आपको बता दें कि इन अमरूदों की खेती सिर्फ वही की जा सकती है। जहां देशी अमरूद नहीं लगे हो। अगर ऐसा करते हैं तो यह अमरूद सही ढंग से नहीं लग पाते हैं।

छोटे शहरों से ज्यादा बड़े शहरों में डिमांड

इन अमरूदों की मांग की छोटे शहरों से ज्यादा बड़े शहरों में होती है। यह अमरूद अभी इंदौर में लग रहे हैं। इन्हें इंदौर से दिल्ली, पूणे, मुंबई, बेंगलूर आदि शहरों में भैजा जाता है। जहां इन्हें बड़ी बड़ी होटलों में पार्टियों में सलाद के रूप में परोसा जाता है। महानगरों में अब इसका चलन तेजी से बढ़ा है। यही कारण है कि इनकी मांग भी बढ़ी है।

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