मिलिए देश की पहली ट्रांसजेंडर पत्रकार से, जिन्होंने चंद्रयान – 2 पर रिपोर्ट पेश देश में बनाया इतिहास
देश में आज के दौर में भले ही महिला और पुरुष वर्ग बराबरी से देश के विकास में हिस्सेदार बन रहे हो और देश में बराबर का योगदान दे रहे हो। लेकिन देश में आज के दौर में भी एक वर्ग ऐसा है जो आज भी अपने देश में अपने मानव अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है। यह वर्ग है, देश में ट्रांसजेंडर या किन्नर वर्ग। जो आज भी देश में अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है। यही किन्नर समुदाय की आवाज उठाने के लिए उन्हीं के वर्ग का पहला पत्रकार बनी थी हीदी सादिया। जिन्होंने केरल में बतौर पत्रकार काम किया। उन्होंने अपने समुदाय और समाज से जुड़े मुद्दों को देश के सामने लाए। आईये जानते है इनकी कहानी के बारे में
ब्रॉडबैंड जर्नलिस्ट के रूप में की शुरुआत
हीदी केरल की रहने वाली है। उन्होंने केरल के एक न्यूज चैनल में बतौर ब्रॉडबैंड जर्नलिस्ट के रूप में नौकरी शुरू की। जहां उन्होंने चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट की लाइव रिपोर्ट पेश की। यह पहला ऐसा मौका था जब देश में किसी ट्रांसजेंडर ने कोई न्यूज रिपोर्ट पेश की थी। सादिया ने अपने काम से जुड़े पहले अनुभव के बारे में कहा “डेस्क चीफ़ ने चंद्रयान की ख़बर लाइव करने के लिए कहा। शुरू में मैं डरी हुई थी। लेकिन, इस बीच मेरे कलीग ने मेरा बहुत साथ दिया। थोड़ा बैकग्राउंड रिसर्च करने के बाद मैंने लाइव ब्रीफ़िंग दी। मेरे लिए यह बहुत ही अच्छा अनुभव था।”
चुनौतीपूर्ण रहा सफर
हेदी का यहां तक का सफर काफी चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने 12वीं के बाद उन्होंने मंगलुरु के एक प्राइवेट कॉलेज में एमबीबीएस में एडमिशन लिया, लेकिन उनके ट्रांसजेंडर होने की वजह से दूसरे स्टूडेंट्स ने उनके साथ भेदभाव शुरू कर दिया। ऐसे में कॉलेज की रैगिंग से परेशान होकर उन्हें पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी। उसके बाद मैं बेंगलुरु चली गयी, जहां मैंने लिंग परिवर्तन सर्जरी करायी। उसके लिए मेरे माता-पिता अब भी मुझसे नाराज हैं। अब मैं आशा करती हूं कि एक दिन जरूर वे समझेंगे।’’ इसके बाद इग्नू से बीए (साहित्य) करने के बाद
इलेक्ट्रोनिक पत्रकारिता में डिप्लोमा किया
सादिया ने तिरुवनंतपुरम से इलेक्ट्रोनिक पत्रकारिता में डिप्लोमा किया।सादिया ने कहा, ‘‘ पत्रकारिता संस्थान में मित्रों ने मेरा सहयोग किया। मैं प्रथम श्रेणी से पास हुई। कुछ मीडिया घराना मुझे नौकरी पर रखने के लिए अनिच्छुक थे। लेकिन कैराली ने मेरी पात्रता पर गौर किया और मुझे मौका दिया। उन्होंने कहा कि समाज द्वारा तैयार किये गये अवरोधों को तोड़ना मुश्किल होता है। उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम किसी के भी दास नहीं हैं। मैं चाहती हूं कि हम अपनी अपनी सीमाओं से बाहर आएं और अपने हिसाब से बनें। यदि जीवन में कुछ मुश्किले हैं तो उससे बाहर निकलने के लिए कुछ कदम उठाना सदैव बेहतर होता है। हमें मौकों का इस्तेमाल करने और कठिन मेहनत करने की जरूरत है।’’