जानिए आखिर क्या कारण हैं देश में हर घर तिरंगा अभियान का, इस अभियान से देश को कितना हुआ है फायदा

देशभर में इस समय आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इस बार पूरे देश में बड़े जोरों शोरों से हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत देशभर में हर घर में तिरंगा फहराने का निवेदन किया जा रहा है। इस अभियान से देशभर के लोगों को जोड़ा जा रहा है। ताकि इस साल का आजादी का पर्व देशभर के लिए सबसे यादगार आजादी का पर्व है।
500 करोड़ का हुआ कारोबार
इस अभियान के कारण देश की जीडीपी को भी फायदा पहुंच रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण तब सामने आया जब यह बात निकल कर आयी कि देश भर में इस बार 30 करोड़ से अधिक राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री से लगभग 500 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। जो कि अभी तक नहीं हुआ था। पहली बार देश में झंडो के माध्यम से लोगों को और देश को इतना हुआ है।
कैट ने पीएम मोदी से अपील की
इसको लेकर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ‘कैट‘ ने कहा कि राष्ट्रभक्ति एवं स्वरोजगार से जुड़े इस अभियान ने पूरे देश में लोगों के बीच देशभक्ति की एक अद्भुत भावना तथा कोआपरेटिव व्यापार की बड़ी संभावनाएं खोल दी हैं। तिरंगा के प्रति लोगों के समर्पण और उत्साह को देखते हुए कैट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस वर्ष के 15 अगस्त से 15 अगस्त 2023 तक की अवधि को भारत की स्वतंत्रता के समाप्त होने पर ‘स्वराज वर्ष‘ के रूप में घोषित करने की अपील की है।
3 हजार से अधिक कार्यक्रम कैट ने आयोजित किए
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि पिछले 15 दिनों के दौरान पूरे देश में कैट के झंडे तले बड़ी संख्या में व्यापारी संगठनों ने 3000 से अधिक तिरंगा कार्यक्रम आयोजित किए, जिनमें बड़ी संख्या में लोगों ने स्वेच्छा से भाग लिया। व्यापारियों सहित अन्य विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने आगे बाद चढ़ कर आजादी के उत्साह से हर कार्यक्रम में शामिल होकर तिरंगे की शान को बरकरार रखा। हर घर तिरंगा आंदोलन ने भारतीय उद्यमियों की क्षमता को भी दर्शाया है, जिन्होंने देश के लोगों की तिरंगे की अभूतपूर्व मांग को पूरा करने के लिए लगभग 20 दिनों के रिकॉर्ड समय में 30 करोड़ से अधिक तिरंगे का निर्माण किया।
10 लाख से अधिक लोगों को मिला रोजगार
खंडेलवाल ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा फ्लैग कोड में पॉलिएस्टर और मशीनों से झंडे बनाने की अनुमति में किए गए बदलाव ने भी देश भर में झंडों की आसान उपलब्धता में बहुत योगदान दिया है। पहले भारतीय तिरंगे को केवल खादी या कपड़े में बनाने की अनुमति थी। ध्वज संहिता में इस संशोधन ने देश में 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया, जिन्होंने अपने घर में या छोटे स्थानों पर स्थानीय दर्जी की सहायता से बड़े पैमाने पर तिरंगा झंडा बनाया।