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गूगल ने स्टार्टअप्स के लिए शुरू की अनोखी पहल, भारत में खोलेगा पहला स्टार्टअप स्कूल

भारत में इस समय करीब 70,000 स्टार्टअप मौजूद हैं और यह दुनिया में स्टार्टअप के लिए तीसरा बड़ा केंद्र है। पिछले कुछ वर्षों में कई स्टार्टअप के सफल कारोबार में तब्दील होने से इसकी तरफ युवा उद्यमियों का रुझान भी बढ़ा है। यही कारण है कि दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल भारत में पहला स्टार्टअप स्कूल शुरू करने जा रही है। ताकि भारत के बड़े शहर के स्टार्टअप्स के साथ देश के छोटे शहर के स्टार्टअप भी तेजी से आगे बढ़ सके।

ब्लॉगपोस्ट के जरिए दी जानकारी

इस स्टार्टअप स्कूल को लेकर गूगल ने एक ब्लॉगपोस्ट में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि ‘ऑनलाइन’ नौ सप्ताह तक चलने वाले इस कार्यक्रम में उसके प्रतिनिधि स्टार्टअप कंपनियों के कर्ताधर्ताओं के साथ संवाद करेंगे। इनमें वित्त प्रौद्योगिकी, कारोबार से कारोबार (B2B), कारोबार से उपभोक्ता ई-कॉमर्स (B2C), भाषा, सोशल मीडिया और नेटवर्किंग के अलावा ‘जॉब सर्च’ से जुड़े स्टार्टअप भी शामिल होंगे।

जानिए क्या है स्टार्टअप स्कूल

इसके ज़रिए कंपनी का इरादा तमाम दिग्गजों से प्राप्त ‘संचित ज्ञान’ को एक ‘बेहतरीन पाठ्यक्रम’ के रूप में व्यवस्थित करने का है, ताकि छोटे शहरों में जो स्टार्टअप विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनको इसके जरिए कुछ मदद मिल सके। इस पाठ्यक्रम में ‘प्रभावी उत्पाद रणनीति’ तैयार करने, उत्पाद उपयोगकर्ता मूल्य को समझनें, भारत जैसे बाजारों के लिए ऐप बनाने, उपयोगकर्ता अधिग्रहण जैसे तमाम विषयों पर निर्देशात्मक मॉड्यूल शामिल होंगे।

इस करीब 9 हफ़्तों के मुख्यतः वर्चूअल प्रोग्राम में फिनटेक, बिजनेस-टू-बिजनेस और बिजनेस-टू-कंज्यूमर, ई-कॉमर्स, भाषा, सोशल मीडिया, नेटवर्किंग, जॉब व अन्य क्षेत्रों के दिग्गज प्रतिनिधियों व गूगल के विशेषज्ञों के साथ व्यापाक संवाद देखनें को मिलेगा।

छोटे शहर के स्टार्टअप्स को मिलेगा फायदा

गौरतलब है कि वर्तमान समय में स्टार्टअप कल्चर सिर्फ बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई या हैदराबाद जैसे बड़े शहरों तक ही सीमित ना हो कर, जयपुर, इंदौर,जैसे शहरों में भी तेजी से बढ़ता दिखाई देता है। लेकिन अभी भी उन स्टार्टअप्स की संख्या कहीं अधिक है जो अपने शुरुआती सालों में ही असफल साबित हो जाते हैं। ऐसे में ख़ासकर छोटे शहरों में स्टार्टअप्स के लिए आगामी चुनौतियों को व्यापाकता से समझने और उनका हल तलाशनें के लिए ऐसे प्रोग्राम मददगार साबित हो सकते हैं

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