प्रेरणादायक कहानियां

इंदौर के इस दिव्यांग व्यक्ति के लिए बदला देश का कानून, लाइसेंस पाने वाले बने देश के पहले दिव्यांग व्यक्ति

दुनिया में कई लोग ऐसे होते है , जो अपनी ऊर्जा और जज्बे से लोगों को एक नई राह दिखाते है और जीवन जीने का नया तरीका सिखाता है ,कुछ ऐसे ही कहानी इंदौर के रहने वाले विक्रम अग्निहोत्री की। जिन्होंने दिखा दिया कि दोनों हाथ न होने के बावजूद भी एक सामान्य व्यक्ति की तरह ज़िन्दगी जी सकती है। विक्रम अपने इस जज्बे के कारण रोजाना कई लोगों को जीवन जीने की नई प्रेरणा देते है।

मात्र 7 साल की उम्र में झुलसे हाथ

विक्रम अग्निहोत्री बताते है कि 7 साल की उम्र में जब वे छत्तीसगढ़ में थे ,उस दौरान वें पड़ोस के घर में बिजली के हाई टेंशन तार के सम्पर्क में आ गए थे। जहां बिजली के कारण उनके दोनों हाथ झुलस गए। बाद में इलाज के दौरान डॉक्टरों को उनके दोनों हाथ कटाने पड़े। जिसके बाद विक्रम की ज़िन्दगी अचानक से पूरी तरह बदल गयी। इस दौरान विक्रम कुछ समय के लिए डिप्रेशन में भी चले गए लेकिन विक्रम ने हार नहीं मानी और एक बार फिर नए उत्साह और जज्बे के साथ जीवन जीना शुरू किया।

कार चलाते दिव्यांग विक्रम अग्निहोत्री

सामान्य व्यक्ति की तरह ग्रहण की शिक्षा
विक्रम ने किसी पर भी निर्भर रहने की वजह आत्म निर्भर बनाने का सोचा और खुद से ही सभी कार्य करने की ठानी। इस दौरान उन्हें उनके परिवार के सदस्य और दोस्तों का भी भरपूर समर्थन मिला। विक्रम ने अपनी शिक्षा भी एक विशेष व्यक्ति के तौर पर न लेकर बल्कि एक सामान्य व्यक्ति की तरह शिक्षा ग्रहण की। विक्रम ने जर्मनी के स्कूल से अपनी12वी की शिक्षा ग्रहण की जबकि एमपी से एमए और एलएलबी की डिग्री हासिल की। विक्रम अब भी अपने दिनचार्य के कार्य सामान्य व्यक्ति की तरह खुद ही करते है।

देश के कानून में हुआ बदलाव
विक्रम को अपना लाइसेंस बनवाने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जब वे पहली बार लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ कार्यलय गए तो वह से उन्हें जवाब मिला की देश के कानून में किसी भी दिव्यांग को लाइसेंस पाने का अधिकार नहीं है। जिसके बाद उन्होंने इंदौर के जनप्रतिनिधि से मुलाकात की और अपनी मांग को आगे बढ़ाया, इसके बाद एक बार वे दिल्ली गए जहां उन्होंने केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और अपनी समस्या के बारे में अवगत कराया जिसके कुछ समय बाद उनकी आवाज़ संसद तक पहुंची। जहां देश के मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव किया और दिव्यांग के लिए लाइसेंस की मंजूरी दी।

लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में दर्ज है नाम
उनकी कड़ी का मेहमत फल उन्हें मिला और वे भारत देश के पहले दिव्यांग व्यक्ति थे ,जिन्होंने अपने दोनों हाथ न होने के बावजूद भी ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त किया। इस कारनामे के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में भी दर्ज है। ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए विक्रम को कई चुनौतीयो का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी विक्रम ऑटोमैटिक कार में क्लच न होने के कारण एक पैर स्टेयरिंग पर रख कर कार चलाते है। उनके इस कारनामे के लिए देश के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी सम्मनित कर चुके है।

दूसरों को प्रेरणा देने के लिए बनाया एनजीओ
विक्रम ने दूसरों दिव्यांगों को प्रेरणा देने के लिए विल नाम के एनजीओ की भी स्थापन भी की है। जिसके माध्यम से वे अपनी तरह के दिव्यांग लोगों को जीवन की नई प्रेरणा देते है साथ ही लोगों को जीवन के जीने की एक नहीं राह भी दिखाते है। विक्रम का कहना है कि किसी भी दिव्यांग को दया की नहीं बल्कि उसे रोज नया जज्बा उत्साह और हक़ देने की जरुरत है। विक्रम अपने एनजीओ के माध्यम से दिव्यांगों को विस्थापन के साथ रोजगार ट्रेनिंग और उनके कल्याण के जुटे रहते है।

यह भी पढ़े – इंदौर में इस व्यक्ति ने कमरे में बनाया सिनेमाघर संग्रालय, संग्रालय को देखने दूर – दूर से आते है लोग

Satendra Singh Lohiya

Journalist - The Good News
Back to top button