तीनों दोस्तों ने सड़क हादसे से ली सीख, खुद बना डाली दुर्घटना से बचाओं मशीन
एक दुर्घटना ने बदली तीन दोस्तों की ज़िन्दगी
क्षेत्रफल के हिसाब भारत दुनिया में सातवां सबसे बड़ा देश है जबकि जनसंख्या के हिसाब से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा है। वहीं विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दुनिया के एक फीसदी वाहन हैं पर सड़कों पर वाहन दुर्घटनाओं के चलते विश्वभर में होने वाली मौतों में 11 प्रतिशत मौत भारत में होती हैं. भारत में सालाना करीब साढ़े चार लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है।
इन्हीं सड़क दुर्घटनाओं से सीख लेकर विशाखापट्टनम के तीन दोस्तों ने एक अनोखी मशीन बनाई। जिसके माध्यम से कई लोग सड़क दुर्घटना से बच सकते है। यह मशीन गाड़ी और ट्रैफिक की हर एक्टिविटी को ट्रैक करने में सक्षम है। साथ ही लोकेशन को पता लगाने और स्पीड को मापने में भी सक्षम है। इस मशीन का नाम “K SHILED” है। तीन दोस्तों के इस अविष्कार को साल 2020 में इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना मंत्रालय के सड़क सुरक्षा के लिए टॉप-10 अविष्कारों में भी जगह मिल चुकी है।
सड़क दुर्घटना ने बदली सोच
जिन तीन दोस्तों ने इस मशीन का अविष्कार किया है। उनके नाम प्रदीप वर्मा, रतन रोहित और ज्ञान साईं है। तीनों ही बचपन से काफी गहरे दोस्त है। तीनों का सपना था कि आगे जाकर भविष्य में इंजीनियर बने। इसके लिए तीनों ने अपने पास के काॅलेज गायत्री विद्या परिषद में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में प्रवेश ले लिया और तीनों अपने सपनों को पूरे करने में लग गए। काॅलेज के दौरान ही एक दिन तीन दोस्त हमेशा की तरह साथ में काॅलेज जा रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक जगह सड़क पर दो बसें आपस में टकरा गयी। जहां एक बस में स्कूली बच्चे थे, तो वहीं दूसरी बस में टूरिस्ट थे। हालांकि, इस हादसे में किसी की जान तो नहीं गई, लेकिन कुछ लोग गंभीर रूप से घायल जरूर हो गए।
उस दौरान तीनों दोस्त ने देखा कि वहां पर ज्यादा ट्रैफिक नहीं था। दुर्घटना ड्राइवर की झपकी लगने के कारण हुई थी। जिसके बाद तीनों ने वाहन दुर्घटनाओं के बारे में रिसर्च की इनके पीछे के कारण को गहराई से जानने की कोशिश की। जहां इन्हें सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की बेबसाइट से पता चला कि देश में 70 फीसदी से अधिक हादसे ड्राइवर की गलती के कारण होते हैं। इसमें गाड़ी चलाने के दौरान नशा करना, हेडफोन लगाना और नींद आना सबसे बड़ी वजह थी। यह जानकर तीनों को हैरानी हुई और तीनों ने इन दुर्घटनाओं को कम करने और लोगों को हादसे से बचाने के लिए कुछ करने का आईडिया आया साथ ही यहीं से उन्हें यह मशीन बनाने का आईडिया भी आया।
पढ़ाई पर पड़ा असर
इस आईडिया के बाद तीनों ने इस पर अमल करना शुरू किया और काॅलेज से आने के बाद तीनों ने रोजाना इस पर मेहनत करना शुरू कर दी। जिसके कारण इसका असर उनकी पढ़ाई पर भी होने लगा। पढ़ाई पर असर के कारण इनके परिवार वाले भी नराज होने लगे। लेकिन सालभर की मेहनत के बाद इनका एक प्रोटोटाइप बनकर तैयार हुआ। उसी दौरान साल 2018 में विशाखापट्टनम में अंतर्राष्ट्रीय अविष्कार मेला लगा। जहां तीनों दोस्त के अविष्कार को प्रथम पुरस्कार के रूप में गोल्ड मेडल मिला। इसके कुछ समय बाद तीनों ने 5 लाख रूपये का निवेश कर ‘Kshemin Labs’ की शुरुआत की।
मशीन की बनावट
वहीं अगर हम मशीन की बनावट की बात करें तो मशीन में दो कैमरे लगे हुए हैं। एक कैमरें ट्रैफिक की गतिविधि पर नजर रखता है तो वहीं दूसरा कैमरा ड्राइवर की गतिविधियों पर नजर रखता है कि कहीं ड्राइवर को नींद तो नहीं आ रही। साथ ही मशीन को यूएसबी से कनेक्ट किया जाता है। जो गाड़ी के माइलेज का नियमित रूप से विश्लेषण करता है। ताकि यदि आपकी गाड़ी में कोई समस्या है तो आपको तुरंत पता लग जाए। इन सब कारणों से कई लोग वाहन दुर्घटनाओं से बच सकते है।
एक मशीन की कीमत 15 हजार रूपये
फिलहाल इस मशीन का इस्तेमाल चार पहिया वाहन जैसे ट्रक, बस और कार वाहनों में किया जा रहा है। इस मशीन को लगातार अपडेट किया जा रहा है साथ ही इसे दो पहिया वाहन के लिए भी तैयार किया जा रहा है। वही अगर हम इसकी कीमत की बात करें तो इसकी फिलहाल एक मशीन की कीमत लगभग 15 हजार रूपये लेकिन यदि बड़े पैमाने पर इनको बनाया जाए तो इनकी कीमत 5-10 हजार तक हो सकती है। यदि भारत सरकार के द्वारा इस मशीन का बड़ा उपयोग किया जाए तो भारत में वाहन दुर्घटनाओं में बड़े पैमाने पर गिरावट आ सकती है।