गोरखपुर की दिव्यांग बेटी ने किया कमाल, पहली बार नीट की एग्जाम क्लियर कर डाॅक्टर बनने की राह पर
कहते हैं यदि हौसलों में उडा़न हो तो चाहे तमाम चुनौतियों आए लेकिन मेहनती व्यक्ति अपना लक्ष्य हासिल कर के ही मनाता है। कुछ ऐसा ही करके ही दिखाया है गोरखपुर की दिव्यांग यशी ने। जिन्होंने तमाम चुनौतियों के बाबजूद पहली बार में नीट क्लियर कर, वह अब डाॅक्टर बनने की राह पर है।
हाथ और पैर से दिव्यांग
आपको बता दें कि यशी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की रहने वाली है। वह दाएं हाथ और पैर से दिव्यांग हैं। इसी वजह से न तो वह ठीक से चल सकती हैं और न दाएं हाथ से कोई काम कर सकती हैं। लेकिन यशी का दिमाग पर पूरी तरह कंट्रोल है। वह अपने दिमाग के कारण काफी होशियार है और वहां पढ़ाई में भी काफी जीनियस है।
लिखना थी बड़ी चुनौती
यशी ने जब नीट की परीक्षा की तैयारी शुरू की। तो उनके समाने सबसे बड़ी चुनौती थी। कि वह लिखेगी कैसे। इसके लिए उन्होंने उन्होंने अपने बाएं हाथ से लिखने और दूसरे काम का अभ्यास किया और अब देश में सबसे कठिन मानी जाने वाली नीट की परीक्षा पास की।
पिता है टैक्सी ड्राइवर
वही यशी एक बेहद सामान्य परिवार से संबंध रखने वाली लड़की है। उनके पिता एक सामान्य टैक्सी ड्राइवर हैं। यशी की एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई है। उनके पिता मनोज कुमार सिंह ने एक ड्राइवर होने के बावजूद अपने बच्चो की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने देते हैं। यशी की नीट की परीक्षा पास करने में जितनी मेहनत उन्होंने की। उतनी ही मेहनत उनके परिवारजनों ने भी की है। अब उन्होंने कोलकाता के बड़े मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया है। जहां से डाॅक्टर बनने की पढाई करेगी।