जबलपुर में कई सालों से महज 20 रूपये में इलाज कर रहे – डाॅक्टर डावर

Amit Rajput

November 27, 2022

एक ओर आज के दौर में कुछ लोगों ने मेडिकल और अस्पतालों को अपने व्यापार का माध्यम बना लिया तो वही दूसरी ओर कुछ लोग आज भी इस पेशे को जनसेवा का एक माध्यम बनाए हुए हैं। कुछ ऐसा ही कर रहे हैं जबलपुर के डाॅ कैप्टन एम सी डाबर। जो पिछले कई सालों से महंगाई के इस दौर में भी 20 रूपये में अपने मरीजों का इलाज कर जनसेवा कर रहे हैं। आईये जानते है डाॅ कैप्टन एम सी डावर के बारे में।

जबलपुर के गवर्नमेंट काॅलेज से किया एमबीबीएस

डाॅक्टर एम सी डाॅवर का जन्म 16 जनवरी 1946 को हुआ था। उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई जालंधर से की। इसके बाद उन्होंने जालंधर से ही प्री मेडीकल एग्जाम दी। इसके कुछ समय एम सी डावर मध्यप्रदेश के जबलपुर आ गए। जहां के गवर्नमेंट मेडीकल काॅलेज ( जो नेता सुभाष चंद्र बोस के नाम से जाता है) से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आर्मी की परीक्षा दी। जहां उन्होंने 525 कैंडिडेट्स में 9वां स्थान हासिल किया।

1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान दी सेवा

डाॅक्टर डाॅवर 1963 के बाद भारतीय आर्मी ज्वाइन की। डावर की पोस्टिंग बांग्लादेश में हुई। जहां वह सन 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध का हिस्सा बने। उन्होंने उस युध्द के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर कई सैनिकों की जान बचाई। हालांकि कुछ समय बाद स्वस्थ्य समस्याओं के कारण डाॅक्टर एम सी डाॅवर को आर्मी छोड़नी पड़ी।

1972 से किया महज 2 रूपये में इलाज

आर्मी छोड़ने के बाद डाॅक्टर साहब एक बार मध्यप्रदेश के जबलपुर आ गए। उन्होंने जबलपुर में अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी। इसके 10 नबंवर 1972 को डाॅक्टर डावर ने अपने क्लिनिक पर पहली बार किसी मरीज का इलाज किया। जिससे उन्होेंने फीस के तौर पर महज 2 रूपए लिए। इसके बाद उन्होंने अपनी फीस इतनी ही रखी और लगातार कई सालों तक कई मरीजों का इलाज इतने ही रूपए में करते रहे।

शिक्षक ने सिखाया कभी किसी को निचोड़ना मत

डाॅक्टर साहब ने इतने कम रूपये में इलाज करने के पीछे का कारण बताते हुए कहा था कि उनके शिक्षक उनसे हमेशा कहा करते थे, बेटा। कभी किसी को निचोड़ना नहीं। हमेशा सादा जीवन जीना। यही कारण है कि मैनें हमेशा अपने मरीजों से बहुत कम फीस ली है। डाॅक्टर साहब ने आगे कहा कि मैंने 1986 तक 2 रूपये फीस ली। इसके बाद मैंने 2 रूपये के नोट और सिक्के कम होने कारण 3 रूपये फीस कर दी। फिर 1997 तक 3 रूपये ली। फिर 1997 से 2012 तक 5 रूपये फीस ली और फिर 2012 से 2021 तक 10 रूपये ली और फिर 2021 से अब महज 20 रूपये फीस ले रहा हूँ।

मरीज ही असली धन

डाॅक्टर कैप्टन डावर के लिए मरीज ही उनके असली धन है। उन्होंने बताया कि साल 1986 में जब उनकी दो किडनी खराब हो गई थी। तब उनकी हालत बड़ी नाजुक हो गई थी। उस दौरान कई मरीजों ने जबलपुर से मां शारदा मां (मैहर) के मंदिर जाकर उनके लिए प्रार्थना की थी। हालांकि कुछ समय बाद इलाज कराने के बाद ठीक हो गए थे।

हमेशा जिया सादा जीवन

डाॅक्टर कैप्टन डाॅवर से जब उनकी अर्थिक स्थिति को लेकर सवाल किया गया कि मैनें अपना जीवन हमेशा सादा जीवन जिया है। कभी किसी भी प्रकार का कोई लालच नहीं किया साथ ही अपनी पूंजी पूंजी जोड़कर अपने बच्चों को पढ़ाया औय उन्हें आगे बढ़ाया।

युवाओं को दिया संदेश

डाॅक्टर कैप्टन एम सी डावर ने द गुड न्यूज के माध्यम से युवाओं को संदेश देता हुए कहा कि आज के दौरा का युवा काफी चिंतित होता है। उसे ज्यादा चिंतित नहीं होना चाहिए साथ ही किसी भी चीज को लेकर ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए और न ही किसी की देखा देखी करनी चाहिए। यदि वह ऐसा करेगा तो उसके जीवन में किसी भी तरह न कोई बीमारी न आएगी और न ही कोई समस्या।

द गुड न्यूज डाॅक्टर कैप्टन एम सी डावर को सलाम करता है। जो समाज में एक रियल हीरो का कार्य करते हैं।