दोस्त की स्कॉलरशिप से शुरू किया खुद का स्टार्टअप, आज भारत का दूसरा सबसे क्रिएटिव स्टार्टअप बना
इंदौर को देशभर में स्टार्टअप हब बनाने की तैयारी की जा रही है। इसको लेकर इंदौर में जिला प्रशासन और युवाओ के द्वारा कवायद भी की जा रही है। अब इसी सिलसिले में इन दिनों इंदौर में एक नाम काफी तेज़ी से उभर कर सामने आ रहा है। जिसका नाम है मोशन जिलिटी। जो कि एक वीडियो प्रोडक्शन की स्टार्टअप कंपनी है। हाल ही में इस स्टार्टअप को बेस्ट परफॉर्मिंग क्रिएटिव स्टार्टअप की सूची में देश में दूसरा स्थान मिला है।
बचपन में ही गुजरे पिता
हिमांशु के पिता और दादाजी के साथ खेती करते थे। खेती से उनका घर चलता था। पिता ने हिमांशु को 9 साल की उम्र में पढ़ाई के लिए इंदौर भेज दिया। इसके एक साल बाद उनका निधन हो गया। इसके बाद हिमांशु को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हिमांशु के खर्च के लिए दादाजी जैसे-तैसे हर महीने 3 हजार रुपए भेजते थे। उस समय उनके दादा जी तीन बहनों का भी पालन-पोषण कर रहे थे। घर की परिस्थितियों को देखते हुए ही उन्होंने ठान लिया था कि कुछ बड़ा करना है।
जिद कर किया एनिमेशन का कोर्स
बचपन से हिमांशु को कार्टून का शौक था, वें सोचते थे कि कार्टून की दुनिया में चला जाऊं। उन्हें समझ आया तो कार्टून बनाने लगे, उसके लिए जिद की कि एनिमेशन का कोर्स करना है। दादाजी ने जमीन गिरवी रखकर कोर्स करने के लिए पैसे जुटाए। कोर्स पूरा करने के बाद जॉब लगी और हिमांशु कम्प्यूटर क्लास में एनिमेशन ट्रेनर बन गया। लेकिन हिमांशु हमेशा नौकरी नहीं करने चाहते थे। यह बात उनकी दोस्त कोमल जानती थी। हिमांशु एक स्टार्टअप शुरू करना चाहते थे।
दोस्त की स्कॉलरशिप से शुरू किया
स्टार्टअप हिमांशु ने स्टार्टअप की शुरुआत 20 वर्ष की उम्र में की थी। इस स्टार्टअप को शुरुआत करने में उनकी बचपन की दोस्त कोमल ने काफी मदद की थी। कोमल को जब 12वी में अच्छे अंक मिले तो उन्हें 25 हज़ार की स्कॉलरशिप मिली। जिसे उन्होंने हिमांशु को स्टार्टअप शुरू करने के लिए दे दी। जिसके बाद दोनों ने मिलकर ‘मोशन जिलिटी’ नाम की कंपनी की शुरुआत की। कंपनी के फाउंडर हिमांशु चुतर्वेदी ने बताया कि शुरुआत में कंपनी को 600 रूपये का प्रोजेक्ट मिले जिसे दोनों ने मिलकर पूरी शिद्द्त से पूरा किया। जिसके बाद साल 2016 में इंदौर में भारत और साउथ अफ्रीका के बीच हुए मैच के पहले कंपनी को एक विज्ञापन बनाने का प्रोजेक्ट मिले। जिसे उन्हें मात्र 24 घंटे में पूरा करना था। कम्पनी ने चुनौती को स्वीकार किया और तय समय में कंपनी को काम पूरा करके दिए। जिसके बाद कंपनी को लगातार काम मिलने का सिलसिला शुरू हो गए।
कोरोना में आयी कड़ी चुनौती
कंपनी के फाउंडर हिमांशु ने बताया कि कोरोना के दौरान उन्हें काफी समस्याओ और चुनौती का सामना करना पड़ा। शुरुआत में जब अचानक से लॉकडाउन लगा तो उसी दौरान उनको आईसीआईसी कंपनी के द्वारा उन्हें एक वीडियो का काम मिला ,जिसे उन्हें मात्र 24 घंटे में पूरा करना था और उस दौरान सभी लोग अपने अपने घर थे जिसके कारण उनको काफी चुनौती का सामना करना पड़ा। लेकिन तमाम चुनौतियों के बाबजूद कंपनी ने तय समय में काम पूरा करके दिया।
अब बना देश का दूसरा सबसे बड़ा क्रिएटिव स्टार्टअप
दोस्त को मिली स्कॉलरशिप से शुरू हुआ स्टार्टअप आज देश का दूसरा सबसे बड़ा क्रिएटिव स्टार्टअप है। हाल ही इंटरनेशनल ‘रेटिंग एंड रिव्यू एजेंसी- क्लच’ ने बेस्ट परफॉर्मिंग क्रिएटिव स्टार्टअप की सूची में शामिल किया है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मैगजीन ‘द मेनिफेस्ट’ ने इंटरनेशनल लेवल पर पहले नंबर पर और ‘सिलिकॉन इंडिया मैगजीन’ ने टॉप 10 में जगह दी है।
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