विदेश से की रोबॉटिक आर्किटेक्चर की पढ़ाई , 40 देश घूमने के बाद भारतीय शैली से बनाया अनोखा घर
भारत देश विभन्न वातावरणों वाला देश है, भारत में किसी जगह अधिक गर्मी पड़ती तो किसी जगह अधिक ठंड पड़ती है। इन अलग अलग वातावरणों से आम लोगो को घरो में भी राहत नहीं मिलती है, और काफी अधिक समस्याओ का सामना करना पड़ता है, इन्ही समस्याओ को देखते हुए तमिलनाडु के कोयंबटूर में रहने वाले युवक राघव ने अनोखा अंदाज़ में घर बनाना शुरू किये है, जिनमे न अधिक गर्मी लगती है और न अधिक ठंड लगती है। ये घर जीरो कार्बन फुट प्रिंट वाले घर है।
राघव कोयंबटूर में जन्मे और यही पले बडे है ,इन्होंने अपनी पढाई रोबॉटिक आर्किटेक्चर स्पेन से की है, कोयंबटूर मे राघव एक आर्किटेक्चर फर्म भी चलाते हैं ,जिसका नाम A PLUS R है। इसके अलावा राघव अब तक तकरीबन 40 देशों की यात्रा भी कर चुके है। राघव बताते है कि वे अपनी पढाई पूरी करने के बाद कई दूसरे देशो मे भी काम कर चुके है, इसके अलावा वे कई सारे देशो मे घूम कर वहा के आर्किटेक्चर को भी अच्छे से देख चुके है, इसके बावजूद उन्हे भारत मे जिस तरह से पुराने घर बनाए जाते थे ,वह तरीका ही सबसे ज्यादा पसन्द आया, पुराने भारतीय घरो को बनाने मे खर्च भी कम होता था और वे दिखने मे भी सुंदर होते थे।
Casa Roca बनाने की प्रोसेस
अपने देश लोटने के बाद राघव ने अपने परिवार के लिए एक घर बनाने का सोचा जो कि क्षेत्रीय वास्तुकला और मॉर्डन डिज़ाइन का हो। राघव ने अपने इस घर मे तमिलनाडु के अथंगुडी की हाथों से बनी टाइल्स लगाई है और कराईकुडी पत्थरों को घर के खंभो मे लगाया है। इसके अलावा Casa Roca मे कांच की बोतलें और टाइल्स आदि और इनके जैसी कई अन्य चीजों को अपसाइकिल कर उपयोग मे लिया गया है।
राघव ने अपने घर मे ईंट की दीवार बनाने के लिए भी एक अनूठी तकनीक का प्रयोग किया है, जिसे रैट ट्रैप बॉन्ड कहते है। सभी ईंटों को जोड़ने के दौरान उनके बीच से थोड़ी हवा जाने की जगह रखी गई है, जो कि एक इन्सुलेटर के रूप में काम करती है। घर की छत बनाने के लिए जिस स्लैब का इस्तेमाल किया गया है,वह भी मिट्टी की प्लेटों से बनाए गए हैं, जो थर्मल हीट को 30% तक कम कर देते हैं। इसके साथ कुछ कांच की टाइल्स का इस्तेमाल भी किया गया है, जिस वजह से दिन के समय प्राकृतिक रोशनी भी घर मे आती है।
घर के फायदे
कोयंबटूर एक गर्म शहर है और कासा रोका नाम के इस घर मे गर्मियों मे AC की ज़रूरत भी नही पड़ती और ना ही सर्दियो मे ज्यादा ठण्ड महसूस होती है। इसकी अलावा इस घर को बनाने मे खर्च भी कम होता है, और यह घर ओरो के मुकाबले दिखने मे भी आकर्षक होता है। इस घर के जरिए से राघव लोगों को यह सन्देश भि देना चाहते है कि भारतीय वास्तुकला सबसे ज्यादा सस्टेनेबल है। इस घर की बनावट ही ऐसी है जिसके लिए ज्यादा बिजली की जरूरत भी नहीं पड़ती, इसके अलावा इस घर मे बारिश के पानी को जमा करने का अच्छा इंतजाम किया गया है, जिस वजह से घर की सारी जरूरतें बारिश से जमा हुए पानी से पूरी हो जाती हैं। ।
राघव कहते हैं कि जिस तरह की सुविधाएं इस घर में हैं, वह एक आम घर से भी कहीं ज्यादा हैं, जो आपको गांव में रहने का अनुभव भी देती हैं। अगर यही घर सामान्य सीमेंट के घरों जैसा बनाया जाता, तो खर्च दुगुना होता। जबकि, यहां सीमेंट का इस्तेमाल कम से कम किया गया है, जिससे यह घर मात्र 22 से 25 लाख में बनकर तैयार हो गया।