3000 हजार से शुरू किया था इस महिला ने काम, आज खड़ी की खुद की 130 करोड़ रूपये की कंपनी
आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसने अपने जीवन में विभिन्न चुनौतियों का सामना करके एक बेहतर मुकाम हासिल किया। इस महिला का नाम नीलम मोहन है। जिनकी कहानी केवल महिलाओं को ही नहीं बल्कि उन लोगों को भी प्रोत्साहित करती है, जो करना तो बहुत कुछ चाहते हैं लेकिन आर्थिक समस्या के कारण कर नहीं पाते। लेकिन नीलम मोहन ने दूसरों की तरह हार नहीं मानी और मेहनत करती और विभिन्न समस्याओं के बाबजूद आगे बढ़ती रही। आईये जानते है नीलम की कहानी को विस्तार से।
21 साल की उम्र में हुई शादी
नीलम मोहन ने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से बीए की पढ़ाई पूरी की और फिर उनकी शादी आईआईटी – एमबीए प्रोफेशनल अमित मोहन से हो गई। जब वह मात्र 21 साल की उम्र में बीए थर्ड ईयर की छात्रा थीं तब उन्हें शादी के बाद पति के साथ दिल्ली आना पड़ा। नीलम शुरू से ही अपने लिए कुछ अलग करना चाहती थी। इसलिए उन्होंने 1977 में 22 साल की उम्र में फैशन नाम की कंपनी शुरू की। लेकिन 1978 में ही अपने पहले बच्चे की प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें एक लम्बी छुट्टी लेनी पड़ी।
3 हजार माह के वेतन पर की नौकरी
इसके बाद उन्होंने दिल्ली में रहते हुए फ्रीलांसर के तौर पर पुरुषों के कपड़े डिजाइन करने का काम शुरू किया और यूपी एक्सपोर्ट कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर काम करने लगीं। इस दौरान वह मात्र 3 हजार रुपये महीना वेतन पर काम कर रही थीं।
दोस्तों के साथ शुरू की कंपनी
नीलम की नौकरी अच्छी चल रही थी। लेकिन वें हमेशा से कुछ अलग हटकर करना चाहती थी और हमेशा कुछ अपने करने का सोचती थी। इसलिए उन्होंने अपने दोस्त हरमिंदर सालधी के साथ काम शुरू किया। उन्होंने अपने दोस्तों हरमिंदर और सुशील कुमार के साथ 1983 में ओपेरा हाउस प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी शुरू की। कंपनी ने पहले ही साल में अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और पहले साल ही कंपनी का टर्नओवर 15 लाख रुपये पहुंच गया। इसके बाद तो इनकी कंपनी लगातार तरक्की करती रही।
समस्याओं का टूटा पहाड़
नीलम का जीवन एक दम सही चल रहा था। लेकिन अचानक नीलम पर एक दम से समस्याओं का पहाड़ टूट पड़ा। पहले 1991 में वें निजी कारणों से अपने पति से अलग हो गईं। इसके बाद इनका कंपनी के हिस्सेदारों से भी मतभेद हो गया और उन्हें कंपनी भी छोड़नी पड़ी। इतना सब होने के बाद भी नीलम ने हिम्मत नहीं हारी।
4 दर्जियों के साथ शुरू की खुद की कंपनी
नीलम ने हार नहीं मानी और 1993 में एक बार फिर उन्होंने 4 दर्जियों के साथ अपनी खुद की कंपनी शुरू की। इसका नाम रखा मंगोलिया ब्लॉसम। उन्होंने इस कंपनी के लिए एक घर खरीदा और उसे फैक्ट्री में बदल दिया। उन्होंने अपने कर्मचारियों के लिए इसी घरनुमा फैक्ट्री ऐसी फैक्ट्री में खाने पीने और उनके रहने का इंतजाम किया।
दोस्तों ने बचाई कंपनी
एक बार फिर समस्या तब आई जब 2002 में उनकी कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई। इस संकट से उबरने में उनके दोस्त ने उनकी मदद की। इसके बाद उनकी कंपनी चल पड़ी। उनके बेटे सिद्धार्थ ने भी पढ़ाई कर अमेरिका से लौटने के बाद अपनी मां की मदद की और अपनी मां की कंपनी को आगे बढ़ाया। बता दें कि अब नीलम मोहन की कंपनी का नेटवर्थ 130 करोड़ रुपये है।