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जोधपुर में देखने को मिला मां की ममता का उदाहरण, बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए बेचा पुश्तैनी घर

कहते हैं मां ममता की मूरत होती है, वह अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर गुजरती है। कुछ ऐसा ही ममता की मूरत का उदाहरण हमें जोधपुर की एक मां का देखने को मिला। जहाँ एक मां ने अपनी बेटी के सपनों पूरे करने के लिए अपने पुश्तैनी घर और गहने तक को बेच दिए। ताकि वह उसकी बेटी उसके सपनों को पूरा कर सके और जीवन में आगे बढ़ सके। आइए जानते हैं इस मां बेटे की कहानी, कि आखिर जोधपुर की इस मां पर ऐसा क्या आन पड़ा कि उसे अपने गहने और पुश्तैनी घर बेचकर अपनी बेटी को शिक्षा दिलाई और उसके सपनों में पंखे लगाए।

पिता को पैरालिसिस आया अटैक

यह बात है जोधपुर की बेटी यशोदा और उसकी मां की। यशोदा के पिता कुछ साल पहले ही पैरालिसिस अटैक के कारण बीमार हो गए। जिसके बाद परिवार की अर्थिक स्थिति खराब हो गई और पूरी जिम्मेदारी यशोदा की मां पर आन पड़ी।

परिजनों ने दिए ताने

परिवार की हालात देखकर यशोदा ने इच्छा जताई कि वहां पढ़ लिख कर एक अच्छा डॉक्टर बनना चाहती है। लेकिन परिजनों ने कहा कि पिता के बीमार होने के बाद उसकी पढ़ाई पर खर्चा कौन करेगा और वैसे भी उसे तो आगे जाकर शादी करने के बाद दूसरे घर जाना होगा। लेकिन यशोदा की मां ने परिजनों को समर्थित नहीं किया और अपनी बेटी यशोदा का साथ दिया और उसे कहा कि बेटी तुम पढ़ाई करो। मैं तुम्हारे लिए पढ़ाई में जितना भी खर्चा होगा मैं तुम्हारी मदद करूंगी।

प्रवेश परीक्षा में हासिल की 25वीं रैंक

इसके बाद यशोदा ने मेडिकल परीक्षा की तैयारी शुरू की। उन्होंने पिछले दिनों 15 अक्टूबर 2022 को अखिल भारतीय आयुष स्नकोत्तर प्रवेश परीक्षा दी, जिसका परिणाम 9 नवंबर 2020 को आया परिणाम आने के बाद पता चला कि यशोदा ने पूरे भारत में परीक्षा में 25वीं रैंक हासिल की। साथ ही ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में छठा स्थान हासिल किया है, जब यशोदा की मां को इस बारे में पता चला तो वहां खुशी के मारे फूली नहीं समाई।

सभी परिजनों को दिया जवाब

यशोदा ने उन सभी परिजनों को जवाब दिया जिन्होंने कहा था कि तुम पढ़ कर क्या करोगी। अब यशोदा स्त्री रोग विशेषज्ञ बनना चाहती है। उसकी कॉलेज की फीस लगभग 10 लाख लगेगी। इसके लिए जिसके लिए यशोदा की मां ने अपने पुश्तैनी घर और अपने आभूषणों को बेच दिया। ताकि यशोदा अच्छे कॉलेज में दाखिला ले सके और आगे जाकर एक बड़ी डॉक्टर बन सके।

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