Gocast Machine अभियान क्या है ,गोबर से लकड़ी और ईंटें बनाने वाली मशीन,जिसने बदल दी हजारो लाखो जिंदगी
प्रति 3 किवंटल गोबर से 1500 किलो से ज्यादा लकड़ी का होता है उत्पादन
गोबर के बारे मैं सुनकर आपके दिमाग मैं क्या आता है, गंदगी ,गन्दी बदबू , घृणा, कम से कम अच्छा ख्याल तो किसी के मन मैं नहीं आता होगा, अगर हम बात करे ग्रामीण परिवेश मैं रहने वाले लोगो के लिए उसका यूज़ उपले बनाना एवं घर लीपने तक ही रहता है, लेकिन अब उसी गोबर से बनाये जा रहे है धूपबत्ती अगरबत्ती , झोले , फ्रेम , गट्टे सजावट के कई सारे सामन अगर बात करे तो 100 से भी जायदा तरह के गोबर के प्रोडक्ट बनाये जा रहे है , आपको याद हो तो पिछले साल भारत के केंद्रीय मंत्री गडकरी ने गोबर से बना हुआ एक पेंट भी लांच किया था, अब उसी गोबर से एक नयी मुहीम गोकास्त के तहत लकड़ी एवं ईंटो का आविष्कार किया गया है ( गोकास्ट गोकास्ट)नाम की यह मशीन तैयार की गयी है जिससे गोबर से लकड़ी और ईंटे बनाने मैं सहायता मिलती है , इस मुहीम को भारत सर्कार भी अभियान का रूप देने मैं जुट गयी है , गत मई माह मैं केंद्रीय मत्स्य पालन , एवं पशु पालन डेयरी मंत्री परुषोत्तम रुपाला ने इस प्रोजेक्ट को अर्थ नाम देकर आई आई टी दिल्ली के छात्रों को ये मशीन सौंप दी है
प्रसार भारती की एक Report के अनुसार, केंद्रीय सरकार द्वारा लाया गया गो काश्त अभियान अब रंग ला रहा है इस अभियान से जुड़े लोगो के इससे काफी सहयता मिल रही हैं, किसानो और गौशाला चलाने वाले लोगो के जीवन मैं काफी महत्वपूर्ण बदलाव इस मुहीम से देखने के मिल रहे है
क्या है गो काश्त अभियान? और ये कैसे काम करता है
इस अभियान के तहत गोबर के द्वारा मशीनो इस्तेमाल से लकड़ी और ईंटे बनायीं जा सकती है , यह मशीन सिर्फ गोबर से लकड़ी या ईंटे बनाने के अलावा भी बहुत सारे कार्यो मैं इस्तेमाल मैं कई जा सकती है , इस मशीन से धान की पराली , गेंहूं के भूसे , सरसो की तुड़ी एवं बहुत सारे वेस्ट मेटेरिएल तैयार कर आमदनी करि जा सकती है , इन वेस्ट मेटेरियल से किसान अपनी पसंद की डाई लगाकर अलग शेप्स के अनुसार लकड़ी बना सकता है
पहले से ज्यादा बढ़ गयी है किसानो की आय इस मशीन के आने से पहले किसान और गोशाला संचालको को गोबर के वेस्ट मैनेजमेंट के लिए टाइम और मनी दोनों देना पड़ता था , लेकिन अब इस मशीन के आने के बाद बेकार पड़ा हुआ सारा गोबर उपयोगी साबित हो रहा है, गोशाला मैं काम करने वाले मजदूर और उनके आसपास के किसानो एवं गोशाला संचालको यह मशीन रोजगार दे रही है पहले तो गोबर सिर्फ खाद या उपले बनाने के काम आता था, अब इससे अन्य चीज़े भी बनने लगी है महिलाओ को तो इस मशीन के आने से सबसे ज्यादा सहूलियत मिली है क्यूंकि ज्यादातर परिवारों मैं गोबर को ठिकाने लगाने का काम महिलाओ को ही करना होता था
प्रति 3 किवंटल गोबर से 1500 किलो से ज्यादा लकड़ी का होता है उत्पादन
एक मशीन से प्रतिदिन 3 हजार किलो गोबर को मैनेज किया जा रहा है। इससे 1500 किलो गोबर के लट्ठ और लकड़ियां मिल रही है , इन लकड़ियों का इस्तेमाल अब शवों के डाह संस्कार करने के लिए भी किया जा रहा है , इससे दाह सांस्कार के लिए काटे जाने वाले पेड़ो को बचाकर पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाने मैं काफी सहायता मिलेगी, आज के समय मैं पर्यावरण को बचाना सबसे बड़ी चुनौती है।