कानपुर के इस युवा ने खोला ‘खुशियों वाला स्कूल’, सैकड़ों बच्चों को मुफ्त में प्रदान कर रहा शिक्षा
कहते हैं पैसै से किसी बच्चे का एक दिन संवाराता है और शिक्षा बच्चों की जिंदगी संवारती है। लेकिन आज के काल में शिक्षा पुण्य का काम नहीं बल्कि व्यापार का माध्यम बन गई है। कई लोगों शिक्षा को व्यापार बनाकर लाखों रूपये ऐंठ रहे हैं। जिसके कारण शिक्षा से वें बच्चे अछूते रह रहे जो बच्चें शिक्षा पाने के हकदार हैं। कुछ ऐसे ही बच्चों की मदद कर रहे हैं कानपुर के रहने वाले उद्देश्य सचन। जो कानपुर में अपना खुद का गोकुलम खुशियों वाला स्कूल चला रहे और सैकड़ों गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देकर उनका भविष्य संवार रहे हैं। आईये जानते है, उद्देश्य सचन के स्कूल के बारे में।
उद्देश्य ने कानपुर में पूरी की पढ़ाई
उद्देश्य का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में ही हुआ था। उनके परिवार की अर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें खूब पढ़ाया। उन्होंने 12वीं पास करने के बाद दर्शनशास्त्र (Philosophy)की पढ़ाई की। इस दौरान उन्होंने देखा कि उनके पिता ने पूंजी पूंजी जमाकर उनको पढ़ाया। आगे जाकर वह उद्यमी बन गए।
पिता और आसपास के लोगों से मिली सीख
उद्देश्य ने अपने पिता और आस पास के लोगों को देखा कि वह कैसे अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसा को इकट्ठे करते हैं। लेकिन इसके बावजूद गरीब घर से आने वाले अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाते हैं। जिन्हें देखकर उनके मन में एक ऐसा स्कूल शुरू करना का आईडिया आया। जिसका उद्देश्य व्यापार करना नहीं बल्कि मुफ्त में शिक्षा देकर बच्चों का भविष्य संवारना हो।
साल 2019 में शुरू किया स्कूल
उद्देश्य ने कुछ दिन अपने इस आईडिया पर काम किया और साल 2019 में अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर गोकुलम खुशियों वाला स्कूल शुरू किया। शुरुआत में स्कूल में महज 5 बच्चों ने ही दाखिला लिया। इसके बाद उद्देश्य ने बच्चों से मिलना शुरू किया और उन बच्चों को स्कूल बुलाना शुरू किया। जो बच्चे अच्छी जगह से शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ है। उद्देश्य का यह आईडिया काम आया और दिन ब दिन उनके स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ती गई।
प्रयोगवाद पर करते हैं ज्यादा फोकस
उद्देश्य अपने स्कूल में अपनी टीम के साथ मिलकर बच्चों को पारंपारिक स्कूलों की तरह नहीं पढ़ाते है बल्कि अपने अनोखे अंदाज में पढ़ाते हैं। वह बच्चों के लिए सिध्दांतवाद की वजह प्रयोगवाद पर ज्यादा फोकस करते है। वह अपने स्कूल में रोबोटिक्स, कृत्रिम तकनीक, रंगमंच अभिनय, उन्नत शिल्प, खेती, बागवानी आदि जैसे विषयों पर भी शिक्षा देते हैं। इसके अलावा स्कूल यौन कल्याण और देखभाल जैसे महत्वपूर्ण विषयों को भी संबोधित करता है।
स्कूल से गोद भी ले सकते हैं बच्चे
इसके अलावा स्कूल संगठन अपने अभियान ‘ईच वन, एडॉप्ट वन’ के माध्यम से गोद लेने वालों का भी स्वागत करता है। जहां आप एक या एक से अधिक बच्चों को गोद ले सकते हैं और एक बच्चे के लिए प्रति माह न्यूनतम 300 रुपये का भुगतान करके उनकी शिक्षा को प्रायोजित कर सकते हैं। चूंकि स्कूल एक गैर-लाभकारी संगठन है, इसके लिए प्रशंसा से कहीं अधिक की आवश्यकता है। इसके लिए उन लोगों के समर्थन की आवश्यकता होती है जो एक बच्चे को शिक्षित करने में मदद कर सकते हैं। आखिरकार, एक भी बच्चे को शिक्षित करने का अर्थ देश के भविष्य में निवेश करना है, और यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि भविष्य सुरक्षित हाथों में हो।
पूरे देश में खोलना चाहते ऐसे स्कूल
वही उद्देश्य सचन ने अपने भविष्य की योजनाओं को लेकर बताया कि वह आने वाले भविष्य देश के लिए और शहरों में इस तरह के स्कूल खोलना चाहते हैं। वह नहीं चाहते कि देश का कोई बच्चा अर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से अछूता रहे। शिक्षा सभी का अधिकार जो सभी को मिलना भी चाहिए।