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बिहार को स्टार्टअप हब बनाने की तैयारी शुरू, बिहार सरकार ला रही स्टार्टअप शुरू करने के लिए खास निति

इन दिनों देशभर में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए सरकारों द्वारा अलग अलग और अनूठे प्रयास किए जा रहे हैं। हर राज्य की सरकार चाह रही है कि उनके प्रदेश में स्टार्टअप्स शुरू हो और उनका राज्य स्टार्टअप हब बन सके। इसके लिए राज्य सरकारों द्वारा कई अनेक प्रयास किए जा रहे हैं साथ ही लोगों को निवेश के लिए फंड भी दिया जा रहा है। अब इसी कड़ी में देश का एक और बड़ा राज्य सामने आया है। जिसका नाम है बिहार। जो आने वाले भविष्य में खुद को स्टार्टअप हब के रूप में देखना चाहता है।

सरकार ने शुरू किए प्रयास

बिहार को स्टार्टअप हब बनाने के लिए बिहार सरकार ने अपने प्रयास भी शुरू कर दिए। जिसको लेकर बिहार के विकास आयुक्त और बिहार स्टार्टअप फेडरेशन के अध्यक्ष विवक कुमार सिंह ने बिहार के स्टार्ट अप उद्यमियों को बेस्ट बताया और कहा कि तीन चरणों की प्रक्रिया से गुजरने के बाद उनका चयन हुआ है। उनमें और अधिक बढ़िया करने की संभावना है। उनके लिए संभावनाओं का अनंत आसमान खुला है। इसमें वे उड़ान भर सकते हैं। उन्हें आलोचनाओं की परवाह नहीं करनी है। स्टार्टअप इकाइयों को लीक से हटकर अपने लिए नई राह बनानी है। नए आइडिया पर काम करते हुए लगातार बेहतर करना है । आगे मार्केट में काफी प्रतियोगिता होंगी। उद्योग विकास और स्टार्टअप मिलकर काम करें और बिहार का नाम रोशन करें। सभी नए उद्यमी अच्छी शुरुआत कर चुके हैं, लेकिन लक्ष्य रखें कि पोडियम फिनिश तक जाना है। दूसरों से हमेशा दो कदम आगे रहना है।

श्री सिंह ने बिहार स्टार्टअप नीति के तहत नवचयनित लाभुकों के लिए सीडफंड और प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम में प्रमाण पत्र देने के बाद लाभुकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बिहार में हम स्टार्टअप के लिए विशेष सुविधा युक्त इकोसिस्टम तैयार कर रहे हैं। स्टार्टअप कंपनियों की हैंड निति होती है और। उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी मार्केटिंग टैक्स एव कंपनी मामलों में आवश्यकतानुसार सहायता एवं मार्गदर्शन दिया जाएगा। कार्यक्रम में 31 लाभुकों को 1.86 करोड़ की राशि सीड फंड के रूप में उपलब्ध कराई गई।

वही उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौंड्रिक ने बताया कि मौर्या कॉम्प्लेक्स व फ्रेजर रोड में स्टार्टअप के लिए को वर्किंग स्पेस दिसम्बर तक तैयार हो जाएगा। इससे नए स्टार्टअप की हैंड होल्डिंग सरलता से हो जाएगी। युवाओं को स्टार्टअप के लिए प्रेरित करने के लिए विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं में जागरूकता कार्यक्रम कराए जाएंगे। स्टार्टअप और पारंपरि व्यवसाय में फर्क होता है। स्टार्टअप में इनोवेशन और रिस्क फैक्टर होता है। स्टार्टअप नई लीक पर चलने का नाम है। जिन स्टार्टअप को सी फंड और प्रमाण पत्र मिल रहा है, उनके लिए यह पहला कदम है। उन्हें अपनी संस्था को यूनिकॉर्न बनाना है। बिहार में उबेर और जोमैटो जैसी स्टार्टअप कंपनी बननी चाहिए। कार्यक्रम में उद्योग निदेशक पंकज दीक्षित, विशेष सचिव दिलीप कुमार, चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान के निदेशक डॉ. राणा सिंह मौजूद थे।

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