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राष्ट्रमंडल खेलों में पान वाले के बेटे ने जीता के लिए पहला पदक, जानिए कैसा रहा संकेत का पान की दुकान से पोडियम तक का सफर

इंग्लैंड के बर्मिंघम में चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के संकेत महादेव सरगर ने देश के लिए पहला पदक जीता। उन्होंने वेटलिफ्टिंग के पुरुषों के 55 किलो वर्ग में 246 किलो भार उठाकर रजत पदक जीता। वें देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहते थे। लेकिन मुकाबले के अंत में चोट लगने के कारण उन्हें रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि संकेत एक पान वाले के बेटे है। उन्होंने एक पान वाले के बेटे से राष्ट्रमंडल खेलों में पदक विजेता का तक सफर तय किया। आईये जानते कैसा रहा उनका सफर।

शुरुआत में किया काफी संघर्ष

संकेत का जन्म साल 2000 में 16 अक्टूबर को महाराष्ट्र के सांगली में हुआ था। संतोष के पिता पेशे से एक किसान हैं, साथ ही उनकी सांगली में उनकी पान की दुकान भी है। संतोष का सपना ओलंपिक में गोल्ड जीतने का है। उन्होंने दिग्विजय व्यायामशाला से वेटलिफ्टिंग सीखी। वह सुबह साढ़े पांच बजे उठकर ग्राहकों के लिये चाय बनाने के बाद ट्रेनिंग, फिर पढ़ाई और शाम को फिर दुकान से फारिग होकर व्यायामशाला जाना, करीब सात साल तक संकेत की यही दिनचर्या हुआ करती थी।

खेलों इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स से ज्यादा चर्चा में आए

संकेत पहली बार सुर्खियाँ में तब आए। जब उन्होंने ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2020 टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतने के लिए क्लीन एंड जर्क लिफ्ट में 138 किलोग्राम का भार उठा कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। इस साल 2021 में संकेत ने राष्ट्रमंडल वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 113 किलोग्राम का नया स्नैच राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपेन नाम किया था। संकेत 55 किग्रा वर्ग में राष्ट्रीय रिकॉर्ड (कुल 256 किलो) भी रखते हैं।

उनके पिता का सपना हुआ पूरा

राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने के बाद उनके पिता ने कहा कि मैं खुद खेलना चाहता था, लेकिन आर्थिक परेशानियों के कारण मेरा सपना अधूरा रह गया। मेरे बेटे ने आज मेरे सारे संघर्षों को सफल कर दिया। बस अब पेरिस ओलंपिक पर नजरें हैं। इंग्लैंड के बर्मिंघम में चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के संकेत महादेव सरगर ने देश के लिए पहला पदक जीता। उन्होंने वेटलिफ्टिंग के पुरुषों के 55 किलो वर्ग में 246 किलो भार उठाकर रजत पदक जीता। वें देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहते थे। लेकिन मुकाबले के अंत में चोट लगने के कारण उन्हें रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि संकेत एक पान वाले के बेटे है। उन्होंने एक पान वाले के बेटे से राष्ट्रमंडल खेलों में पदक विजेता का तक सफर तय किया। आईये जानते कैसा रहा उनका सफर।शुरुआत में किया काफी संघर्ष संकेत का जन्म साल 2000 में 16 अक्टूबर को महाराष्ट्र के सांगली में हुआ था। संतोष के पिता पेशे से एक किसान हैं, साथ ही उनकी सांगली में उनकी पान की दुकान भी है। संतोष का सपना ओलंपिक में गोल्ड जीतने का है। उन्होंने दिग्विजय व्यायामशाला से वेटलिफ्टिंग सीखी। वह सुबह साढ़े पांच बजे उठकर ग्राहकों के लिये चाय बनाने के बाद ट्रेनिंग, फिर पढ़ाई और शाम को फिर दुकान से फारिग होकर व्यायामशाला जाना, करीब सात साल तक संकेत की यही दिनचर्या हुआ करती थी। खेलों इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स से ज्यादा चर्चा में आए थे। संकेत पहली बार सुर्खियाँ में तब आए। जब उन्होंने ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2020 टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतने के लिए क्लीन एंड जर्क लिफ्ट में 138 किलोग्राम का भार उठा कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया।

उनकी बहन भी भारोत्तोलक है

इस साल 2021 में संकेत ने राष्ट्रमंडल वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 113 किलोग्राम का नया स्नैच राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपेन नाम किया था। संकेत 55 किग्रा वर्ग में राष्ट्रीय रिकॉर्ड (कुल 256 किलो) भी रखते हैं।राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने के बाद उनके पिता ने कहा कि मैं खुद खेलना चाहता था, लेकिन आर्थिक परेशानियों के कारण मेरा सपना अधूरा रह गया। मेरे बेटे ने आज मेरे सारे संघर्षों को सफल कर दिया। बस अब पेरिस ओलंपिक पर नजरें हैं।

Arpit Kumar Jain

Arpit Kumar Jain is a Journalist Having Experience of more than 5+ Years | Covering Positive News & Stories | Positive Action & Positive Words Changes the Feelings
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