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जानिए छत्तीसगढ़ के गोबर किंग के बारे में , जो गाय के गोबर से बनाते है 30 से अधिक प्रोडक्ट

आप सभी ने गाय के गोबर से बनने वाले कंडे ,दीये और बाकी चीज़ो के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन क्या आप सभी ने कभी यह सुना है कि गाय के गोबर से पहनने के लिए चप्पलें भी बनाई जा सकती है, जिन्हें रोजाना आपने दैनिक जीवन में पहन सकते है। कुछ ऐसा ही काम छत्तीसगढ़ के रहने रितेश अग्रवाल कर रहे है। रितेश पिछले 15 सालो से गोबर से चप्पलें बना रहे है। रितेश ने अपनी नौकरी छोड़कर प्रकृति से जुड़ा कुछ करने के बारे में सोचा। जिसके लिए सबसे पहले उन्होंने राजस्थान के प्रोफेसर शिवदर्शन मलिक से गोबर की ईटें बनाना सीखा। फिर उन्होंने गोबर की ईटें, लकड़ी, दिये, मूर्तियां आदि बनाने का काम शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने चप्पल बनाना शुरू कर दिया जो कि आप पूरे देश में चल निकला है।

गोबर से बनी चप्पलें

कैसे आया चप्पल बनाने का आईडिया
रितेश गाय के गोबर को काफी फायदेमंद और उपयोगी मानते है। वे इसके नए-नए प्रयोग के बारे में सोचते रहते हैं। रितेश को गोबर की चप्पल बनाने का आईडिया उनकी दादी से मिला था। दरअसल एक बार उनकी दादी की चप्पल टूट गयी थी। तो उन्होंने अपनी दादी के लिए चप्पल बनाने का आईडिया आया। जिसके बाद उन्होंने दादी के लिए चप्पल बनाई। रितेश ने जो चप्पल दादी के लिए बनाई थी वो काफी कठोर थी लेकिन उनकी दादी को इन चप्पलों से स्वस्थ में फयदा मिला जिसके बाद रितेश ने और चप्पल बनाना शुरू किया। साथ ही कई लोगों ने दादी की चप्पल देख कर रितेश से गोबर की चप्पल बनाने की मांग की।

एक जोड़ी चप्पल बनाने में लगते है 10 घंटे
रितेश इस चप्पल को बनाने में गोबर, ग्वारसम और चूने का इस्तेमाल करते है। एक किलो गोबर से 10 चप्पलें बनाई जाती हैं। अगर यह चप्पल 3-4 घंटे बारिश में भीग जाए, तो भी खराब नहीं होती, धूप में इसे सुखाकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इन चप्पलों का दाम करीब 400 रुपये है, जिसे बनाने में 10 दिन लगते हैं। रितेश की चप्पलों की मांग अब सिर्फ छत्तीसगढ़ या रायपुर तक ही सीमित नहीं है बल्कि रितेश के पास इन चप्पलों के लिए दिल्ली, मुंबई, बनारस जैसे शहरों से कई ऑर्डर्स मिल रहे हैं। अभी तक उन्होंने तक़रीबन 1000 चप्पलें बनाकर बेची हैं और कई ऑर्डर्स अभी इंतज़ार में हैं।

गोबर से बने ब्रीफकेस की हुई देशभर में चर्चा
रितेश अपनी एक संस्था भी चलाते है। इस संस्था का नाम “पहल” संस्था है। इसमें कई महिलाओं को गोबर बनाने वाले प्रोडक्ट के बारे में बताया जाता है साथ ही उन प्रोडक्ट्स को बनाने की ट्रेनिंग भी दी जाती है। इस साल छत्तीसगढ़ के बजट सत्र में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इनकी संस्था द्वारा बनाये गए ब्रीफकेस को ही लेकर गए थे, जिसकी देशभर में काफी चर्चा हुई थी। रितेश की संस्था की हर महीने 3 लाख रुपए कमाई हो रही है। इसके अलावा संस्था के द्वारा 23 लोगों को रोजगार भी दिया जा रहा है।

सीएम भूपेश वघेल गोबर के ब्रीफ़केस

फ़िलहाल संभालते है सरकारी गोशाला
फ़िलहाल रितेश, राज्य सरकार की ओर से बने गोठान को संभालने का काम करते हैं। गोठान, सड़क पर बेसहारा घूमती गायों के लिए बनी एक गौशाला है। नगर निगम के लोग, रायपुर के आस-पास से जख्मी और खाने के लिए भटकती गायों को इस गौशाला में लाते हैं। साल 2018-19 में छत्तीसगढ़ सरकार ने गोठान मॉडल शुरू किया, तब से ही रितेश भी इस मॉडल के साथ जुड़े। इस गौशाला को स्वाबलंबी बनाने के लिए ही, उन्होंने गाय के गोबर से अलग-अलग चीज़े बनाना शुरू किया था। वह अभी गोबर का इस्तेमाल करके तक़रीबन 30 तरह के प्रोडक्ट्स बना रहे हैं।

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Arpit Kumar Jain

Arpit Kumar Jain is a Journalist Having Experience of more than 5+ Years | Covering Positive News & Stories | Positive Action & Positive Words Changes the Feelings
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