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हड्डियों की गंभीर बीमारी से लड़कर तमिलनाडु की इस युवती ने खड़ा किया खुद का न्यूजपेपर से बनी डोल का बिजनेस, अब आ रहे हैं देश-विदेश से रोजाना हजारों ऑर्डर

कहते हैं मजबूत इरादे हो, हौसले बुलंद हो तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक पाती है। यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है, तमिलनाडु के कोयंबटूर की युवती रधिका पर। जिन्होंने बचपन से लेकर अब तक विभिन्न चुनौतियों का सामना कर आज खुद का एक बिजनेस खड़ा कर दिया है और यह बिजनेस किसी और चीज का नहीं बल्कि “पेपर की गुड़िया का” है। जिसके कारण इस समय वह पूरे देश में सुर्खियां बटोर रही है। आईये जानते है, राधिका की कहानी के बारे में।

5 वर्ष की उम्र में हुआ फ्रैक्चर

राधिका का जन्म 1999 में तमिलनाडु के कोयंबटूर के जया और सी अरुमुगम के परिवार में हुआ। राधिका का एक छोटा भाई भी है जिसका नाम राजमोहन है। राधिका धीरे-धीरे बड़ी होती गई। आगे जाकर उन्होेंने आम बच्चों की तरह स्कूल में दाखिला ले लिया। इसी दौरान रधिका जब 5 साल की थी। तब उनके बाएं पैर में फ्रैक्चर हो गया। जब फ्रेक्चर हुआ तब उन्हें नहीं पता चला कि उनके पैर में फ्रेक्चर है। अचानक उन्हें दर्द महसूस हुआ। यह दर्द इतना खतरनाक था कि वह उसे सहन नहीं कर पा रही थी। इसके बाद उन्हें उनके परिवार वाले अस्पताल ले गए। जहां उनके पैर की जांच हुई। जिसके बाद पता चला है कि उनके बाएं पैर में फ्रेक्चर है।

दोनों पैरों की हुई 7 सर्जरी

इसके बाद डॉक्टर ने राधिक के पैर की सर्जरी की। सर्जरी के बाद डाक्टरों ने उन्हें तीन महीने घर पर आराम करने की सलाह दी। इसके बाद रधिका ने आराम शुरू किया। इसी दौरान रधिका की कुछ जांचे हुई। जिसमें पता चला कि रधिका को हड्डियों की गंभीर बीमारी है। जिसका नाम है, भंगुर हड्डी रोग। यह बीमारी बहुत ही कम लोगों को होती है। इस बीमारी के कारण मरीज ठीक से खड़ा नहीं होता। जब डाॅक्टर को इस बीमारी का पता चला तो उन्होंने राधिका के पैरों की सर्जरी करने को कहा। डाक्टरों ने साल 2011 तक उनके दोनों पैरों की सात सर्जरी कर दी। लेकिन इसके बावजूद राधिका खुद से नहीं खड़ी पा रही थी।

लोहे की झड़ी से चलना शुरू किया

डाॅक्टर ने और सर्जरी करने को कहा लेकिन राधिका की हालतों को देखते हुए उनकी सर्जरी फिर से हो पाना संभव नहीं हो पाया। इसके बाद राधिका ने लोहे की झड़ी के सहारे चलना शुरू किया। उन्होंने काफी दिनों तक घर में आराम किया। इस दौरान उनकी बीमारी के कारण उनका स्कूल छूट गया। वह सिर्फ अपने घर में सीमित रह गई। घर में रहने के कारण उनका कोई दोस्त यार नहीं बन पाया। वह घर में रहकर काफी बोर और चिढ़चिढ़ी होने लगी। न्यूजपेपर से गुडियां बनाना सीखा रधिका के उस मुश्किल दौर में उनके परिवार ने उनका खूब साथ दिया। उनका भाई और माता-पिता हमेशा उनके साथ रहते थे। इसी दौरान उन्होंने आर्ट में रूचि लेना शुरू किया और ड्रॉइंग पेटिंग बनाना शुरू किया। कुछ ही समय में उन्हें यह करने में काफी मजा आना लगा और उन्होेंने अपना टाइम पास करने के लिए और ज्यादा करने लगी। इसी दौरान उन्होंने कागज से गुडियां बनाना सीखा। शुरुआत में सही ढंग से नहीं बनी। लेकिन रधिका ने मेहनत जारी रखी और इस पर मेहनत करती रही। कुछ समय बाद उन्होंने न्यूजपेपर से एक सही ढंग से गुडियां बनाना सीख लिया।

पहली गुडियां के बदले मिले 500 रूपये

साल 2016 में राधिका ने पहली बार अपनी न्यूजपेपर की गुड़िया बनाई। जिसे उन्होंने अपने पड़ोसी को दी। जिसके बदले में उन्हें 500 रूपये मिले। रधिका के भाई बताते हैं कि राधिका को मिली इस सफलता के बाद उन्होंने और तेजी से गुडियां बनाना शुरू कर दिया। इसके बाद जब आसपास के बच्चों को राधिका के बारे में पता तो वें राधिका के पास आने लगे और धीरे-धीरे करके राधिका के नए नए काफी सारे दोस्त भी बनते गए।

शौक को बनाया बिजनेस

जब राधिक को पता चला कि वें ज्यादा से ज्यादा न्यूजपेपर से गुडियां बना सकती है तो उन्होंने अपने शौक को बिजनेस में बदलने का फैसला किया। जिसके बाद उनके भाई उन्हें अपनी गुडियों के बारें सोशल मीडिया पर भी शेयर करना शुरू किया। इसके बाद राधिका का बिजनेस तेजी से फैलता गया। राधिका के पास पूरे देश से ऑर्डर आने लगे। राधिका अधिकांश काले चहरे वाली गुड़िया बनाती थी। इस दौरान कई लोगों ने उनसे सफेद चेहरे वाली गुडियां बनाने की मांग की लेकिन राधिका के भाई ने इंकार कर दिया और वैसी ही गुडियां बनाना जारी रखा।

लाॅकडाउन में बिकी 500 से अधिक गुडियां

इसके बाद जब पूरा देश में लाॅकडाउन लगा हुआ था। उस दौरान भी राधिका का बिजनेस बंद नहीं हुआ। उन्हें मंगलौर के एक परिवार से ऑर्डर मिला कि उन्हें शादी में गिफ्ट करने के लिए न्यूनपेपर की डोल चाहिए तो राधिका ने उस लाॅकडाउन के दौरान भी अपने काम को जारी रखा। उन्होंने उस दौरान 500 से अधिका गुडियां बेची। राधिका का बिजनेस विदेश में भी फैलता गया। उन्हें यूएसए कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, अंडमान, श्रीलंका और अन्य देशों से भी ऑर्डर आते हैं।

अब तक मिले कई सम्मान

राधिका अब “क्वीनबी पेपर क्राफ्ट्स एंड क्रिएटिव आर्ट्स” ब्रांड नाम से अपना खुद का बिजनेस चला रही है। राधिका को अपनी मेहनत और आईडिया के कारण कई सम्मान भी मिल चुका है। वह कई लोगों के प्रेरणास्रोत भी बन चुकी है।

राधिक जैसै देश के तमाम लोगों को द गुड न्यूज सलाम करता है। जो विभिन्न चुनौतियों के बाबजूद जीवन में आगे बढ़ते हैं और कई लोगों के लिए मिसाल बनते हैं।

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