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महाराष्ट्र के किसान ने बदला खेती का तरीका, अब कमा रहे सालाना 35 लाख रूपये

कभी कभी छोटे-छोटे बदलाव जीवन में एक बड़े बदलाव का कारण बन जाते हैं। कुछ ऐसी छोटे-छोटे बदलावों की कहानी है, महाराष्ट्र के रहने वाले किसान तुकाराम गुंजल की। जो साल 2009 तक अपने चचेरे भाइयो के साथ अपनी पुश्तेनी जमीन पर खेती करते थे। जहां वे प्याज, गेहूं, गन्ना जैसी मौसमी फसलें उगाते थे। 12 एकड़ के खेत मे अथक मेहनत करने के बाद भी तुकाराम का घर खर्च मुश्किल से निकल पाता था। जिसके कारण तुकाराम काफी परेशान थे।

तुकाराम अपनी खेती के कारण काफी निराश थे। जिसके बाद उन्होंने अपनी खेती में छोटे-छोटे बदलाव करना शुरू किए और फसलों के साथ नए प्रयोग करने की शुरुआत की। उन्होंने पहले दो एकड़ जमीन पर खेती शुरू की और बारी-बारी से टमाटर, गेंदा और तुरई उगाना शुरू किया। बदलते फसल पैटर्न के साथ, उन्होंने मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई जैसे नए खेती के तरीकों को अपनाया। इन छोटे-छोटे बदलावों का असर उनकी खेती पर दिखने लगा। खेती में नई तकनीकों से उनकी खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का खर्चा भी कम हो गया। जिससे उन्हें अपनी खेती मे ज़्यादा मुनाफा होने लगा, वे अब अपनी 12 एकड़ जमीन से सालाना 35 लाख रुपये तक कमा रहे है और इसके साथ ही साल में खेती से एक महीने की छुट्टी भी ले पाते है।

खेती करने का तरीका

तुकाराम अपनी खेती के बारे में बताते हुए कहते है कि वे मई महीने मे अपने खेत जोतते है, खेत को तैयार करने के लिए वे छह ट्रैक्टर भरकर, गाय के गोबर और पोल्ट्री कचरे का इस्तेमाल करते है।एक बार जमीन खेती के लिए तैयार हो जाने के बाद, जून के पहले हफ्ते से लगभग 8,000 गेंदे के पौधे उगाए जाते हैं और इन्हें सितंबर में काटा जाता है। अक्टूबर की शुरुआत में अगली फसल यानी टमाटर की खेती होती है। टमाटर की फसल के तकरीबन 75% तक तैयार हो जाने के बाद, तुरई की बुवाई भी शुरू हो जाती है।

खेती के इस तरीके को अपनाने के बाद वे बाजार की मांग के अनुसार फसलें तैयार कर पाते हैं। जिससे उन्हे ज़्यादा मुनाफा होता है, तुकाराम बताते है कि हर फसल की कटाई का समय डेढ़ या दो महीने में आता है। कभी-कभी, पहले फसल चक्र के दौरान फसलों की अच्छी कीमत नहीं मिल पाती, लेकिन दूसरे फसल चक्र में अच्छी कीमत मिलती है, इस तरह नुकसान वसूल हो जाता है।कहाँ – कहाँ भेजी जाती है फसले तुकाराम बताते है कि जब आस-पास के इलाकों में किसी फसल की आपूर्ति कम होती है, तब वे अपनी फसलें बाहर भेजते हैं। वह कहते हैं, “संगमनेर, सूरत, पुणे और मुंबई में टमाटर की काफी मांग है। वहीं भावनगर और सूरत में गेंदे के फूल की अच्छी कीमत मिलती है। तुरई की मांग सूरत और पुणे के बाहरी इलाकों में ज्यादा है।”

खेतों के लिए पानी के स्रोत

तुकाराम बताते हैं कि उन्होंने अपनी 12 एकड़ जमीन के कुछ हिस्से में एक करोड़ लीटर की क्षमता वाला एक तालाब और दो कुएं भी बनवाए हैं। जिस वजह से खेतो में पानी की सही आपूर्ति हो पाती है और फसलों को सही मात्रा में पानी मिलने के कारण पैदावार भी अच्छी होती हैं।तुकाराम गुंजल की इस कामयाबी को देखने के लिये दूर दूर से लोग आते है, और काफी कुछ सीख कर जाते है। कुछ लोग तो तुकाराम से उनके खेती करने का तरीका सीखने के लिए कुछ दिन उनके पास ठहरते भी है। ताकि वे अच्छे से खेती के गुण सीख सके।

Arpit Kumar Jain

Arpit Kumar Jain is a Journalist Having Experience of more than 5+ Years | Covering Positive News & Stories | Positive Action & Positive Words Changes the Feelings
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