भोपाल की 17 वर्षीय बेटी बनी भारतीय अंडर 19 की उपकप्तान, विभिन्न चुनौतियों को हासिल किया मुकाम
कहते हैं क्रिकेट जेंटलमैन का गेम होता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से यह कहावत देश की बेटियों ने गलत साबित कर दी है और देश की बेटियों ने क्रिकेट जगत में देश का भी नाम रोशन किया है। कुछ ऐसा ही कर रही है भोपाल की सौम्य तिवारी। जो महज 17 वर्ष की उम्र में भारतीय महिला अंडर 19 टीम की उपकप्तान बन गई है। सौम्या इतनी कम उम्र में इतना बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद पूरे देश में चर्चा में बनी हुई है। आज हम इस लेख में उनकी ही कहानी के बारे में जानेंगे की। वें इस मुकाम तक कैसी पहुंची।
छह साल की उम्र में अकादमी में दाखिला लिया
सौम्या तिवारी का जन्म 2005 में भोपाल में हुआ था। उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलना काफी पसंद था। महज छह साल की उम्र में उनकी बहन उन्हें भोपाल के क्रिकेट अकादमी ले गई। जहां सिर्फ लड़कों को ही क्रिकेट की ट्रेनिंग दी जाती थी। वहां अकादमी के मुख्य कोच सुरेश चिनोनी थे। जब सौम्या ने उनसे क्रिकेट सीखने की विनती की तो सुरेश उन्हें मना नहीं कर सके और उन्हें लड़को के साथ ही क्रिकेट ट्रेनिंग करने को कहा।
लड़को के साथ की प्रैक्टिस
सौम्या ने कुछ दिनों तक लगातार लड़को के साथ क्रिकेट प्रैक्टिस की और अपने गेम को निखारा। इसके बाद वह आगे बढ़ती गई। पहले उन्होंने भोपाल संभाग के लिए क्रिकेट खेला और सभी को काफी प्रभावित किया। इसके बाद उन्होंने डिवीजन और अगले स्तर पर क्रिकेट खेला और आगे बढ़ती गई।
अब अंडर 19 की बनी उपकप्तान
उन्होंने कुछ ही समय में महिला एमपीसीए की टीम में अपनी जगह बना ली। इसके बाद दमदार प्रदर्शन के कारण भारत की अंडर 19 महिला टीम में चुना गया। चतुष्कोणीय महिला अंडर-19 टी-20 श्रृखंला में 102 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए, जिसमें नाबाद 65 रन की सीरीज में दूसरा सर्वोच्च स्कोर है। अब इसके बाद उन्हें न्यूजीलैंड दौरे के लिए भी टीम में चुना गया है। साथ ही उन्हें टीम का उपकप्तान भी बनाया गया।
पिता ने किया हमेशा सपोर्ट
वही आपको बता दें कि सौम्या इस समय क्रिकेट के साथ साथ पढाई भी कर रही है। वह भोपाल के ईदगाह हिल्स स्थित सेंट जोसेफ कॉन्वेंट में 12वीं की छात्रा है। सौम्या के पिता राज्य सरकार में कर्मचारी है। सौम्या बताती है कि उन्हें उनके पिता ने शुरू से सपोर्ट किया और वें इस मुकाम उनके कारण ही पहुंच पायी है।