भारत में जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) को सबसे संगीन इलाकों में से एक माना जाता है। यहां अक्सर आतंकी घटनाएं घटित होती है। जिसके कारण अक्सर जम्मू और कश्मीर में सेना (Army) और आंतकियों के बीच मुठभेड़ होती है। इस मुठभेड़ के कारण सबसे ज्यादा नुकसान वहां रहने वाले बच्चों को होता है। जो अधिकांश समय शिक्षा से वंचित हो जाते हैं। इन बच्चों के लिए जम्मू-कश्मीर के कुछ सेना जवानों ने विशेष स्कूल (Special School) शुरू किया है। जहां वें बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं। आईये जानते है, इस स्कूल के बारे में विस्तार से।
सेना के जवान ने शुरू किया स्कूल
दरअसल बात साल 2016 की है। जब कश्मीर की घाटी में काफी में आतंकी घटनाएं घटित हो रही थी। जिस दौरान चार महीनाें की हिंसा के बीच 30 से अधिक स्कूलों में आगजनी से हजारों बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई थी। इस घटना के बाद सेना के विक्टर फोर्स के जनरल आफिसर इन कमांड (जीओसी) मेजर जनरल अशोक नरूला ने काफी प्रभावित हुए थे। उन्होंने बच्चों के भविष्य को मद्देनजर रखते हुए बच्चों के लिए घाटी में स्कूल चलो अभियान शुरू किया।
यह अभियान उन्होंने एक सेना के जवान के तौर पर नहीं बल्कि एक पिता की हैसियत के रूप में की थी। क्योंकि उनके भी दो बच्चे थे। इसलिए वें जानते थे कि बच्चों की शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने जवानों से कहा है कि बच्चाें तक शिक्षा पहुंचाने का काम करें। इसके लिए चाहे खुद पढ़ाना पड़े या बंद पड़े स्कूलों को खुलवाना हो।
बच्चों के अभिभावक भी हुए प्रभावित
इसके बाद मेजर ने बताया कि पहलगाम में सेना के गुडविल स्कूल में 292 बच्चों को शिक्षकों ने पढाया और उनका भविष्य संवारा। इस दौरान हिंसक हालात से इतर इन बच्चों ने अपना सिलेबस पूरा करने के साथ ही उसे रिवाइज भी कर लिया है। बच्चों ने ईद से लेकर स्वतंत्रता दिवस समारोह में भी हिस्सा लिया। यही वजह है कि अन्य अभिभावक भी अपने बच्चों को सेना के स्कूल चलो अभियान का हिस्सा बनाने के इच्छुक हैं।
इस अभियान के सफल होने के बाद घाटी में कई और स्कूल खुले। इन स्कूलों में न सिर्फ बच्चों को पढ़ाई के लिए बेहतर संसाधन मुहैया कराए जा रहे है बल्कि खेलकूद, कला, साहित्य और अन्य कई विधाओं की शिक्षा देकर सामाजिक मुख्यधारा में जोड़ने की कवायद की जा रही है। सेना के इन स्कूलों में हजारों बच्चों को तालीम देकर देश भर की परीक्षाओं में प्रतिभाग करने की विशेष तैयारियां कराई जाती हैं